लखनऊ। निजीकरण के विरोध में बुधवार को विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर बिजली कर्मचारी व अभियंताओं ने शक्ति भवन मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। सात जिलों के विद्युत् वितरण के निजीकरण के लिए आज शक्ति भवन में प्री बिडिंग प्रक्रिया के सूचना मिलने पर गुस्साए बिजली कर्मियों ने शक्ति भवन पर विरोध प्रदर्शन और सभा की।
संघर्ष समिति ने एलान किया कि टेंडर खुलने वाले दिन (टेंडर खुलने की अभी तारीख तय नहीं की गई है) प्रान्त भर में कार्य बहिष्कार किया जाएगा और सात जिलों की बिजली आपूर्ति के निजीकरण के टेण्डर वापस न हुए तो होली के बाद हड़ताल की नोटिस दे दी जाएगी।
शक्ति भवन पर हुई विरोध सभा को सम्बोधित करते हुए समिति के संयोजक शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि यदि निजीकरण के टेंडर वापस न लिए गए तो हड़ताल के कार्यक्रमों की घोषणा कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पॉवर कार्पोरेशन प्रबंधन ने विद्युत् वितरण के सात जिलों उरई, इटावा, कन्नौज, रायबरेली, सहारनपुर, बलिया और मऊ के लिए एकीकृत सेवा प्रदाता (इन्टीग्रेटेड सर्विस प्रोवाइडर)के टेण्डर की आज प्री बिडिंग कांफ्रेंस कर निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिससे बजली कर्मियों में भारी गुस्सा है। टेंडर 05 मार्च को खोले जाएंगे और 28 मार्च तक इन जिलों की बिजली व्यवस्था निजी कंपनियों को सौंप दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि ग्रेटर नॉएडा और आगरा में निजीकरण के प्रयोग पूरी तरह असफल साबित हुए हैं। ऐस में नॉएडा और आगरा के निजीकरण की समीक्षा करने के बजाए, सरकार सात और जनपदों का निजीकरण करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि बिना समीक्षा जल्दबाजी में जारी किये गए इन टेंडरों को रद्द किया जाना चाहिए। संघर्ष समिति ने कहा कि सहारनपुर, कन्नौज, इटावा, उरई, रायबरेली, मऊ और बलिया की बिजली आपूर्ति की पूरी जिम्मेदारी संघर्ष समिति को दे दी जाये तो समिति एक साल में 15 प्रतिशत तक लाइन हानियाँ लाने में सक्षम है लेकिन यदि सुधार के बजाये निजीकरण ही लक्ष्य है तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा।
समिति ने आरोप लगाया कि निजीकरण के नाम पर बड़ा घोटाला करने के लिए शक्ति भवन में बड़े पैमाने पर कन्सल्टैंट नियुक्त किये गए हैं। चर्चा यह है कि इन कन्सल्टैंट्स के तार बिजली आपूर्ति करने वाली निजी कंपनियों से पहले से ही जुड़े हुए हैं और टेंडर की प्रक्रिया मात्र औपचारिकता है। शक्ति भवन में बिजली के अत्यंत अनुभवी विशेषज्ञों के होते हुए कन्सल्टैंट रखे जाने का घोटाले के अलावा और कोई औचित्य नहीं है। आज सभा में राजीव सिंह, गिरीश पाण्डेय, सदरुद्दीन राना, बिपिन प्रकाश वर्मा, सुहेल आबिद, राजेंद्र घिल्डियाल, परशुराम, पी एन तिवारी, सहित तमाम अभियन्ता व कर्मचारी शामिल रहे।
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