बदलते नहीं जज़्बात मेरे रोजाना तारीखों की तरह,
बेपनाह इश्क़ करने की ख्वाहिश मेरी आज भी है।
एक तेरा ही नशा है जो शिकस्त दे गया मुझे,
वर्ना मयखाने भी तौबा करते थे मेरी मयकशी से।
नाराजगी चाहे कितनी भी क्यो न हो तुमसे,
तुम्हें छोड़ देने का ख्याल हम आज भी नही रखते।
नाम देने से कौन से रिश्ते सँवर जाते हैं,
जहाँ रूह न बँधे दिल बिखर जाते हैं।
नब्ज टटोलते ही हकीमों ने कहा,
साहब इसने तो इश्क़ पी रखा हैं।
शायरी करने वाले बढ़ते जा रहे है,
ऐ-मोहब्बत लगता है तेरा धंधा जोरो पर है।
एहसास ए करबला तुझे भी हो जाएगा इक दिन,
ए-जान.. तनहा किसी अज़ीज़ की मय्यत उठा के तो देख।
हाल मेरा भी दिन रात कुछ ऐसा है इन दिनों,
वो ज़िन्दगी में आते भी नहीं और ख्यालों से जाते भी नहीं।
ये तेरी हल्की सी नफ़रत और थोड़ा सा इश्क़,
यह तो बता ये मज़ा-ए-इश्क़ है या सज़ा-ए-इश्क़।
सोचा था खुदा के सिवा मुझे कोई बर्बाद नहीं कर सकता,
फिर उनकी मोहब्बत ने मेरे सारे वहम तोड़ दिए।
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