नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर के लिए विशेष व्यवस्था करने वाले संविधान के अनुच्छेद 35A मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई अगले दो माह के लिए टाल दी गयी है।
केंद्र को यह बताना था कि बिना संसद में प्रस्ताव पारित किए इस अनुच्छेद को संविधान में कैसे शामिल किया गया? इसे निरस्त करने पर सरकार क्या सोचती है?
अनुच्छेद 35ए की संवैधानिक वैधता को चार याचिकाओं के जरिए चुनौती दी गई है। एनजीओ ‘वी द सिटीजन’ ने मुख्य याचिका 2014 में दायर की थी। अनुच्छेद 35A की वैधता के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की एक स्पेशल बेंच सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि इस अनुच्छेद के चलते जम्मू-कश्मीर के बाहर के भारतीय नागरिकों को राज्य में अचल संपत्ति खरीदने और वोट देने का हक नहीं है। साथ ही, जम्मू कश्मीर की महिला कश्मीर से बाहर के शख्स से शादी करने पर राज्य में सम्पति, रोजगार के तमाम हक़ खो देती है। उसके बच्चों को भी स्थायी निवासी का सर्टिफिकेट नही मिलता।
इस बीच, जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठनों ने अनुच्छेद 35A को खत्म करने पर आंदोलन की चेतावनी जारी किया है।
एक संयुक्त बयान में अलगाववादी नेताओं ने कहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट राज्य के लोगों के हितों के खिलाफ 35A पर कोई फैसला देता है, तो जनता आंदोलन के लिए तैयार हो जाए।
-एजेंसी
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