मेरी यादों ने
मेरी यादों ने तेरा शाना हिलाया होगा,
तुझको मेरी यादों ने ही यादों से जगाया होगा..
कौन उठाएगा तेरे नाज फुलों जैसे,
उसने ही मेरे लिये तुझको बनाया होगा..
पुरकैफ हवाऐं हैं, मौसम भी सुहाना है,
ऐसे में चले आओ, मिलने का जमाना है..
घर मेरे न आओगे मैं खुब समझता हूँ,
मेंहदी के लगाने का, सिर्फ एक बहाना है..
इन मस्त हवाओं में रंगीन फजाओं मे,
आ जाओ सनम तुमको, हमराज बनाना है..
मैखाने की बस्ती में क्यूँ आज चले आये?,
क्या हजरते वाईज को, कुछ पिना पिलाना है..
मैखाने में आये हैं ये सोच के हम साकी,
दुनिया में रफिक अपना, एक ये ही ठिकाना है।
– रफिक हुसैन
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