नई दिल्ली। अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे के सामानों पर नया आयात शुल्क लगाकर दोनों देशों के बीच पहले से जारी व्यापारिक घमासान को और हवा दे दी। अमेरिका की आेर से नये आयात शुल्क लगाये जाने के बाद चीन ने उस पर व्यापारिक दादागिरी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह अन्य देशों को अपनी इच्छानुसार व्यापाक करने को लेकर धमका रहा है। चीन की संवाद समिति ने बताया कि जीन जरूरत पड़ने पर लड़ने के लिए तैयार है।
चीन का यह भी कहना है कि अगर अमेरिका उसके साथ आपसी सम्मान और समानता के आधार पर बातचीत शुरू करता है तो वह उसके साथ व्यापारिक बातचीत के लिए भी तैयार है। वहीं व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी गत सप्ताह एक बयान में कहा था कि अमेरिका, चीन के साथ बातचीत को सकारात्मक दिशा में ले जाने का इच्छुक है, लेकिन दोनों पक्षों की ओर से इस दिशा में अभी तक कोई कदम उठाया नहीं गया है।
गौरतलब है कि अमेरिका ने 200 अरब डॉलर के चीनी सामान पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगा दिया है और इसके जवाब में चीन ने 60 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया है। हालांकि शुरुआत में लगाया गया आयात शुल्क उतना अधिक नहीं है, जितनी आशंका जतायी जा रही थी। इससे पहले इसी वर्ष दोनों देशों ने एक-दूसरे के 50 अरब डॉलर के सामानों पर अतिरिक्त आयात शुल्क लगाया था जिसके बाद से दोनों के बीच व्यापारिक जंग चल रही है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस व्यापार युद्ध से केवल चीन और अमेरिका की अर्थव्यवस्था ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। सेंट पीटर्सबर्ग में रेमंड जेम्स में मुख्य अर्थशास्त्री स्कॉट ब्राउन ने कहा कि इस विवाद से सबसे बड़ा खतरा अमेरिका के चीन के बाजार से बाहर हो जाने का है जो कि एक उभरता बाजार है। इससे अमेरिका को खासा नुकसान झेलना पड़ सकता है।
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