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Monday 25 February 2019

आधिकारियों के संरक्षण में सफेद बालू का काला कारोबार  

  • दिन रात दौड़ रहे सड़कों पर अवैध बालू के डंपर और ट्रैक्टर
बख्शी का तालाब, लखनऊ। सूबे की प्रदेश सरकार भले ही शासन सख्त कर अवैध कार्यों पर रोक लगाने का प्रयास कर रही हो। परंतु कहीं ना कहीं नौकरशाही, राजनीतिक संरक्षण व दबंगों के दबाव में अवैध कार्य पूरी तरह से रोकने में सरकार को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है । उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बीकेटी तहसील अंतर्गत पांच थानों थाना बीकेटी, थाना गुडंबा, थाना जानकीपुरम, थाना मड़ियांव ,थाना इटौंजा में अवैध सफेद बालू का काला कारोबार चरम पर है । किसानों को अपनी भूमि की मिट्टी हटाने की परमिशन को आसान करने के बाद जैसे खनन माफियाओं को संरक्षण देने का कार्य किया गया। किसान की जमीन के कागज वह आईडी लेकर माफिया आसानी से भ्रष्ट नौकरशाहों को बंधी रकम देकर आसानी से परमिट प्राप्त कर लेते हैं। मौके पर जांच करने तक कोई नहीं जाता और अगर जाता भी है तो दिखावा मात्र के लिए। खनन माफिया एक रात में एक डंपर पर  आसानी से 3000 से 3500 सौ रुपए के हिसाब से सैकड़ों डंपर अवैध खनन कर शासन प्रशासन को करोड़ों का चूना तो लगा ही रहे हैं। साथ ही चंद रुपए के लिए खेती योग्य भूमि को बंजर कर गरीब किसानों की रोटी रोटी भी छीन रहे हैं। नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मनमाने ढंग से खनन कर अड़ोस पड़ोस के खेतों को भी बर्बाद कर रहे हैं। एक रॉयल्टी पर एक गाड़ी पूरी रात बालू और मिट्टी लादकर रोड पर दौड़ती है। बिना समय व तारीख डाले एक ही रॉयल्टी कई कई दिनों तक चलती रहती है। अगर किसी के द्वारा शिकायत की जाती है तो गाड़ी रोके जाने पर रॉयल्टी पर तुरंत समय व तारीख डालकर उसे सही ठहरा दिया जाता है। समाचार पत्रों का पोर्टल पर बीकेटी तहसील अंतर्गत खनन की खबरें आए दिन पढ़ने को व देखने को मिलती है परंतु संबंधित अधिकारी मूक दर्शक बन तमाशा देखते रहते हैं। खबर ज्यादा ऊपर तक पहुंचने पर प्रशासन को दिखावे के लिए छोटे खनन माफियाओं की एक आध गाड़ी सीज कर  गुड वर्क छपवा कर शासन प्रशासन की नजर में हीरो बनने का प्रयास किया जाता है। रॉयल्टी जारी होने के बाद खनन माफियाओं का काला कारोबार क्षेत्रीय अधिकारियों और कर्मचारियों की सांठगांठ से शुरू हो जाता है। नदियों के करीब तराई क्षेत्रों में सफेद बालों का काला कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी तेजी से बढ़ रहा है । कुछ वर्ष पूर्व शासन द्वारा बड़े खनन कारोबारी की गिरफ्तारी के बाद डी कंपनी के मालिक अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद का नाम भी खनन में सामने आया था । उसके बाद से धीरे-धीरे मामला ठंडा होने के बाद नए माफियाओं ने खनन क्षेत्र में पैठ मजबूत कर फिर से बालू का काला कारोबार शुरू कर दिया है। राजधानी लखनऊ से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक इनका करोड़ों रुपए का कारोबार किसी न किसी प्रकार बढ़ रहा है। सूत्रों की माने तो लेखपाल से लेकर तहसीलदार व बाबू से लेकर अधिकारियों तक रॉयल्टी के लिए मोटी रकम देकर चंद दिनों में इन खनन माफियाओं को रॉयल्टी आसानी से मिल जाती है। वहीं नियमानुसार किसान अगर अपने बंजर खेत की मिट्टी हटा ना चाहे तो महीनों सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटता है । इस से त्रस्त किसान अपने खेतों की मिट्टी (पीली बालू) का सौदा खनन माफियाओं से चंद्र रूपों में कर अपने घर में खुश रहता है। और खनन माफिया उसी मिट्टी( पीली बालू) पटान वाले ठेकेदारों को बेच अवैध रूप से मोटी कमाई कर रहे हैं। राजधानी समेत पूरे प्रदेश में चप्पे-चप्पे पर तैनात पुलिस भी कहीं ना कहीं इन खनन माफियाओं का संरक्षक बनी हुई है । पुलिस कर्मचारियों से पूछे जाने पर पुलिस द्वारा यह कह कर हाथ खड़े कर लिए जाते हैं। कि बालू व मिट्टी खनन हमारे कार्य क्षेत्र से बाहर है। परंतु सड़कों पर दौड़ते डंपर व ट्रक नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए आसानी से अपने काम को अंजाम देते हैं । बड़े अधिकारियों को बचाने के लिए ही ज्यादातर खनन का कार्य देर रात से सुबह तड़के तक ही किया जाता है। कहीं ना कहीं सरकार द्वारा अधिकारियों व कर्मचारियों को दी जाने वाली वेतन से कई गुना अधिक आय के लालच में नौकरशाही में मस्त भ्रष्ट कर्मचारियों के संरक्षण में सफेद व पीली बालू का काला कारोबार बख्शी का तालाब तहसील व प्रदेश के अन्य जनपदों में धड़ल्ले से चल रहा है।

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