लखनऊ। लोकसभा चुनाव में सीट को लेकर नाराज चल रहे कैबिनेट मंत्री और सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने भाजपा से संबंध रखने के मुद्दे पर रायशुमारी के लिए प्रदेश भर से कार्यकर्ताओं को शनिवार को बुलाया तो था, लेकिन उन्होंने फैसले पर सस्पेंस कायम रखा। कार्यकर्ताओं के सामने भाजपा पर जमकर बरसे जरूर, लेकिन फैसला फिर टाल दिया।
कहा, अब कार्यकर्ताओं की राय के आधार पर जल्द ही फैसला करेंगे। दार्शनिक अंदाज में राजभर ने कार्यकर्ताओं को ‘लक्ष्य न ओझल हो पाए, कदम मिलाकर चल, मंजिल भी मिल जाएगी, आज नहीं तो कल’ शेर सुनाकर धैर्य रखने का संदेश दिया।
दरअसल राजभर कई बार भाजपा से नाता तोड़ने की धमकी दे चुके हैं और इसके लिए कई बार तारीख की घोषणा भी कर चुके हैं, लेकिन हर बार वह अगली तारीख देकर फैसले को टालते रहे हैं। इसी कड़ी में शनिवार को उन्होंने पार्टी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को लखनऊ बुलाया था। इसमें उन्होंने कार्यकर्ताओं से लिखित तौर पर राय मांगी और भाजपा से चल रही तनातनी पर चर्चा की। राजभर ने कार्यकर्ताओं से लोकसभा चुनाव लड़ने के बजाय पिछड़ों के 27 फीसदी आरक्षण के बंटवारे के मुद्दे पर बात की। उन्होंने राजभर समाज को और ऊपर तक पहुंचाने की बात कहके अपने अगले निर्णय तक मामले को टाल दिया। कहा, उनकी प्राथमिकता राजनीति नहीं है, बल्कि समाज से जुड़े मुद्दों की लड़ाई है। इसलिए जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेंगे। अति पिछड़ों की लड़ाई को मरने नहीं दूंगा।
सोच-समझकर लेंगे भाजपा से गठबंधन चलाने को लेकर निर्णय
राजभर ने कार्यकर्ताओं से कहा कि सुभासपा इस चुनाव में हारने के लिए नहीं, बल्कि जीतने के लिए उतरेगी। इसलिए सोच-समझकर ही भाजपा से गठबंधन चलाने को लेकर फैसला किया जाएगा। इस दौरान पार्टी के प्रमुख प्रवक्ता राना अजीत सिंह ने भी ‘गौड़ भले हो जाऊं मौन नहीं हो सकता, पुत्र मोह में शस्त्र त्याग कर द्रोण नहीं हो सकता’ शेर कहकर कार्यकर्ताओं को सियासी समीकरण समझाने की कोशिश की।
इस मौके पर ज्यादातर कार्यकर्ताओं ने भाजपा के साथ रहने और कुछ ने सपा-बसपा गठबंधन के साथ जाने का सुझाव दिया है। राजभर ने कहा कि लिखित सुझावों का अध्ययन करने के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। राजभर ने कहा, मेरी प्राथमिकता राजनीति नहीं है, बल्कि समाज से जुड़े मुद्दों की लड़ाई है। इसलिए जल्दबाजी में कोई निर्णय नहीं लेंगे। अति पिछड़ों की लड़ाई को मरने नहीं दूंगा। सुभासपा इस चुनाव में हारने के लिए नहीं, बल्कि जीतने के लिए उतरेगी। इसलिए सोच-समझकर ही भाजपा से गठबंठन चलाने को लेकर फैसला किया जाएगा।
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