गाजियाबाद। गुमशुदा होने वाले बच्चों के प्रकरणों में जिले की पुलिस का एक मात्र खेल केवल तहरीर दर्ज करने तक सीमित होकर रह गया है। तहरीर दर्ज करने के
बाद बच्चों की सकुशल बरामदगी के प्रयास ही नहीं किए जाते है। जनपद न्यायाधीश की अध्यक्षता में गुमशुदा बच्चों के मामलों को लेकर गठित मानीटरिंग कमेटी की बैठक के दौरान इस बात का खुलासा हुआ। ये भी उजागर हुआ कि 282 बच्चों का पिछले दो सालों से दूर तक भी अता पता नहीं है। जिला स्तर पर गठित कमेटी के समक्ष 2019 के दौरान लापता हुए बच्चों के प्रकरण में किसी तरह की पुलिस के द्वारा रिपोर्ट ही प्रस्तुत नहीं की गई है। उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा रिट संख्या 15630/06 विष्णु दयाल शर्मा बनाम राज्य सरकार में गुमशुदा बच्चों के संबंध में पारित आदेश के अनुपालन में एसएसपी के द्वारा अवगत कराया गया कि 2007 से वर्ष 2018 के बीच गायब हुए 1621 बच्चों में से 1339 बच्चों की बरामदगी की गई। 282 बच्चों की बरामदगी किया जाना अभी शेष है। गुमशुदा बच्चों के संबंध में प्राप्त होने वाली सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। इस बीच जनपद न्यायाधीश ने कहा कि नवंम्बर एवं दिसंबर 2018 में गुमशुदा बच्चों की बरामदगी नहीं हुई है,जबकि जनवरी 2019 में गुमशुदा बच्चों एवं उनकी बरामदगी के संबंध में कमेटी के सामने किसी तरह की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। बैठक के दौरान जोर दिया गया कि व्यक्तिगत रूचि लेकर गुमशुदा बच्चों को बरामदगी के लिए आवश्यक प्रयास किए जाए।
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