भोपाल। श्योपुर जिले की दोेनों विधानसभा में हुए बंपर मतदान के कारण जिला प्रशासन और निर्वाचन विभाग खुशी से फूले नहीं समा रहा था। अफसरों की इस खुशी व उत्साह पर दो ईवीएम ने ऐसा कुठाराघात किया है कि श्योपुर से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा हुआ है।
दरअसल श्योपुर के 649 पोलिंग बूथ में से दो बूथों की ईवीएम में 50-50 वोट बढ़ गए हैं। इन ईवीएम की मतगणना कैसे कराएं? इस बात को लेकर दो दिन से श्योपुर से लेकर भोपाल तक के अफसर माथापच्ची कर रहे हैं। फिलहाल इस संकट का कोई समाधान नहीं निकला है। जिन दो ईवीएम में वोट बढ़े हैं वह दोनों श्योपुर विधानसभा की हैं। पहली ईवीएम श्योपुर शहर के बूथ क्रमांक 169 की है। इस बूथ पर 248 पुरुष और 190 महिलाओं ने मतदान किया, यानी पोलिंग बूथ पर कुल 438 मतदाता वोट डालने आए थे, लेकिन ईवीएम 438 की बजाय 488 वोट बता रही है। यानी 50 वोट ज्यादा बढ़ गए हैं।
इसी तरह पांडोला के बूथ क्रमांक 263 पर हुआ है। श्योपुर से 10 किमी दूर पांडोला गांव के इस बूथ पर 225 पुरुषों और 205 महिलाओं यानी 430 मतदाताओं ने वोट डाला, लेकिन मतदान समाप्त होने के बाद जब ईवीएम के वोटों का टोटल चेक हुआ तो, पांडोला के इस बूथ की ईवीएम ने 480 वोट बताए। यानी यहां भी 50 वोट बढ़ गए। इस मामले में कलेक्टर बसंत कुर्रे ने सामान्य प्रेक्षक विवेक वाष्णेय से लेकर मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर सुझाव मांगा है।
इसलिए हुई यह गफलत
दरअसल यह गड़बड़ी पीठासीन अधिकारी और निर्वाचन ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों की लापरवाही के कारण हुई है। मतदान सुबह 7 बजे से शुरू हुआ था, लेकिन इससे एक घंटे पहले यानी सुबह 6 बजे से हर पोलिंग बूथ पर मॉकपोल हुआ था। मॉकपोल में हर ईवीएम से 50-50 वोट डाले गए। बाद में जब मतदान शुरू हुआ तो मॉकपोल के वोट सीएलआर बटन दबाकर डिलीट करने थे, लेकिन श्योपुर व पांडोला के बूथ पर मॉकपोल के बाद सीएलआर बटन नहीं दबाई। इस कारण मॉकपोल के 50 वोट ईवीएम से नहीं हटे और मतगणना शुरू होने के बाद मॉकपोल के 50 वोट अन्य मतदान में मिल गए।
वीवीपैट की पर्चियां ही एक मात्र रास्ता
ऐसे हालातों में वीवीपैट की पर्चियां ही अफसरों की फजीहत बचा सकती हैं और इन पर्चियों की दम पर ही इन ईवीएम के वोटों की गिनती हो सकती है। दरअसल इन दोनों बूथों पर मॉकपोल के बाद वीवीपैट में आईं 50 पर्चियां पीठासीन अधिकारी ने सुरक्षित रख लीं। इन्हीं पर्चियों से मिलान हो जाएगा कि मॉकपोल में किस पार्टी को कितने वोट मिले थे। मतगणना के समय इन वोटों को घटा दिया जाएगा और उससे वोटों की गिनती हो जाएगी, लेकिन इसके लिए निर्वाचन आयोग से लेकर प्रत्याशियों तक की सहमति जरूरी है।
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