लखनऊ। उत्तर प्रदेश में निजी अस्पतालों के हर वर्ष मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में होने वाले पंजीकरण में सीएमओ द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न पर शासन ने नाराजगी जतायी है तथा स्पष्ट निर्देश दिये हैं तथा स्पष्ट निर्देश दिये हैं कि निजी चिकित्सालयों के पंजीकरण कार्य को शीघ्रता से पूरा करें तथा उनके फॉर्म में अगर कोई कमियां हैं और उन पर आपत्ति है तो उसके लिए 10 दिन का समय देकर पंजीकरण कार्य पूरा करायें, कार्य को लटकाये रखने की प्रवृत्ति कतई बर्दाश्त नहीं है। शासन की ओर से यह निर्देश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नर्सिंग होम एसोसिएशन द्वारा प्रमुख सचिव से मिलकर पंजीकरण को लेकर अपनाये जा रहे रवैये से अवगत कराये जाने के बाद जारी किये गये हैं।
इस बाबत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ पद्माकर सिंह ने दो दिन पहले सभी सीएमओ को एक पत्र लिखकर शासन के निर्देश को अवगत कराते हुए कहा गया है कि इसका पालन सुनिश्चित करे। आपको बता दें कि वर्ष 2007 में उच्च न्यायालय के आदेशों के बाद हर वर्ष मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में डॉक्टरों और उनकी निजी क्लीनिक, अस्पताल, नर्सिंग होम का पंजीकरण कराना होता है। यह आदेश झोलाछाप डॉक्टरों पर लगाम लगाने के लिए दायर याचिका पर हाई कोर्ट ने पारित किया था। हाईकोर्ट ने यह भी साफ किया था कि पंजीकरण की कार्यवाही हर साल करायें लेकिन इसके लिए कम से कम कागजी कार्यवाही करें और यह ध्यान रखें कि चिकित्सकों का उत्पीड़न न हो। लेकिन हाई कोर्ट के इस आदेश के नाम पर कुछ जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों ने चिकित्सकों का उत्पीड़न शुरू कर दिया।
लेकिन हुआ यह कि मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के पास जब पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए चिकित्सक पहुंचते हैं तो ज्यादातर मुख्य चिकित्सा अधिकारियों द्वारा नोडल ऑफीसर, उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी या इस कार्य के लिए अपने प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किये गये अधिकारी के पास पंजीकरण करवाने वाले चिकित्सक या उनके प्रतिनिधि को न भेजकर पटल बाबू के पास भेज दिया जाता है जहां उनका मामला लटका रहता है और अनावश्यक और अव्यवहारिक अर्हताओं को पूरा न किये जाने का हवाला देकर आवेदकों का उत्पीड़न किया जाता है।
इसी शिकायत को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और नर्सिंग होम एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल की 24 मई को प्रमुख सचिव और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक हुई थी। गहराई से बातें सुनने के बाद प्रमुख सचिव ने सीएमओ द्वारा की जा रही लापरवाही व डॉक्टरों के उत्पीड़न को लेकर नाराजगी जताते हुए बैठक में मौजूद महानिदेशक को निर्देश दिये थे जिसके अनुपालन में महानिदेशक द्वारा उसी दिन सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को इस बाबत पत्र भेजा है।
प्रमुख सचिव, महानिदेशक व शासन के अन्य अधिकारियों के साथ शासन में हुई इस बैठक को सुनिश्चित कराने में आईएमए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ शरद अग्रवाल की अहम भूमिका रही। बैठक में डॉ शरद अग्रवाल के अलावा आईएमए यूपी के अध्यक्ष डॉ एएम खान, नर्सिंग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ जीसी मक्कड़, आईएमए की क्लीनिकल स्टैब्लिशमेंट एक्ट समिति के अध्यक्ष डॉ अमिताभ श्रीवास्तव, यूपी आईएमए के संयुक्त सचिव डॉ आलोक कुलश्रेष्ठ आदि शामिल रहे।
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