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Friday 14 June 2019

दोस्तों या girlfriend के relationship में झगड़े से बचने के लिए ये हैं आसान tips

Relationship में लोग perfect हो न हो लेकिन relation perfect होना चाहिए . चाहे एक husband-wife हो या parents-child का relation हो , दोस्तों की बात हो या girlfriend-boyfriend का साथ हो , इन sweet relation में जब एक दुसरे की imperfection की वजह से झगड़े होते है न तो miscommunication भी होती है , misunderstanding भी होता है , mind stress रहता है , खुशियों को ताला लगता है , काम में ध्यान नहीं लगता , कुछ भी अच्छा नहीं लगता और relation और कमजोर हो जाते हैं . तो आइये जाने 7 ऐसे टिप्स जिसे आप follow कर अपने relationship में होने वाले झगड़ों से बाख सकते हैं .

झगड़े से बचने के लिए relationship tips

1. हमेसा present में रहो .

क्या आप 1 साल पुराना , 2 साल पुराना या 3 साल पुराना newspaper अपने table पर रखते हो ? नहीं न … ऐसे हो जब आप अपनी बात अपने partner को convey कर रहे होते हो तो present की बात बताओ , महीने बार पुरानी , साल भर पुरानी गलतियों को बिच में मत लाओ . अगर आप present की बात छोडके past में जाओगे और आपका partner भी past पे जाएगा तो actual बात कभी discuss नहीं हो पाएगी . तो जैसे पुराने newspaper , पुरानी magazines आज आपके table पर कोई role नहीं है वैसे पुराने issues का , भूली बातों का आज की conversation में कोई role नहीं है . भूली बातों को लाओगे तो सिर्फ hurt होगा और बात और बिगड़ेगी .

2. न्याय से बचें .

हमे न judge की कुर्सी पर बैठने का बड़ा सौक होता है , लेकिन ये बात हमेसा याद रखने कि लड़ाई को अगर avoid करना है , अगर झगड़े को avoid करना है तो आपको judge नहीं बनना बल्कि आपको news-reporter बनना है . होता क्या है कि बहुत बार हम अपनी बात कहते-कहते judgement दे देते हैं . अगर एक काम ठीक से नहीं हुआ तो हम सीधे दुसरे की personality पैर , दुसरे की nature पे judgement दे देते हैं , उस काम करने की जगह हम बोल देते हैं ” you are useless ” , ” तुम्हारी बस की नहीं ” . और ये judgement hurt करती हैं . तो आपको judge नहीं बल्कि एक reporter बनना है , अपनी बात को report करना है कि ये काम ऐसे किये है , इसकी जगह ये better तरीका था . क्यूंकि अगर आप अपनी बात कहने की जगह सीधा judgement दोगे तो बिजली ही गिरेगी . आज के बाद judge बनके अपने partner को फैसला मत सुनाओ , reporter बनो और अपने partner को अपनी बात report करो .

3. एक बार में सिर्फ एक ही problem discuss करो .

ऐसा नहीं की आपको कुछ कहने का मौका मिला है तो धना-धन कहते जाओ . आप सिर्फ एक चीज discuss करो जिससे आपको problem है . अगर आप अपनी एक बात कहते-कहते और 5 problem ले आओगे तो आपका एक problem भी solve नहीं हो पाएगा . हमेसा एक बार में एक ही problem mind में रखो और एक ही problem कन्वर्सेशन में रखो .

4. कुछ words को कहने से बचें .

कुछ words है जैसे ” हमेशा ” , ” कभी नहीं ” … इससे बात बिगड़ती है ..
तुम हमेशा अपनी गलती नहीं मानते .
तुम कभी नहीं सुधर सकते .
तुम कभी भी मेरी help नहीं करते .

हमेशा , कभी-नहीं … ये कुछ ऐसे words है जिसे हम गुस्से में तो कह जाते हैं लेकिन सच नहीं होते . इस वजह से हम अपने partner को hurt कर देते हैं और फिर पुराणी बातों की सुनामी भी आ जाती है . लेकिन आपका main aim अपनी problem को solve करना है , अपने relation को ठीक करना है तो ऐसे words का इस्तेमाल न करें .

5. Assume मत करो .

हम सब unique है . हरी looks में difference होता है . हमारी nature में difference होता है . जैसे हमारा एक point of view है वैसे ही दुसरे का भी एक point of view है . जैसे हमे लगता है की हम सहि हैं वैसे ही दुसरे को भी लगता है कि वो सहि हैं . लेकिन ज्यादा तर हम assume कर लेते हैं – ” नहीं सिर्फ मैं सहि हूँ . ” और अगर दूसरा हमारी बात समझ नहीं पाता तो हम irritate हो जाते हैं और जब आप assume करते हो कि आप सहि हो  तब आप सुनते कम हो और अपना reply ज्यादा देने लगते हो . और अगर हम दुसरे हो सुनेगे नहीं तो दुसरे को समझेगे नहीं . कभी में अपने मन में assume मत करो कि आप सहि हो या गलत हो , आप discuss करो , अपना view रखो , दुसरे का view सुनो . आधी से ज्यादा problem तो ऐसे ही solve हो जाएगी .

6. दयालु बनो .

Relation में कुछ बातें हमें irritate कर जाती हैं . हम उन बातों पर react करते हैं , उन बातों पर झगड़ा करते हैं . ऐसी situation में खुद को challenge करो कि अपने partner की इस action के पीछे हम एक अच्छी intention ढूंढेंगे . खुद को challenge करो कि इसके पीछे एक अच्छा कारण ढूंढेंगे . जब आप ऐसे खुद को challenge करोगे के मैं दुसरे के इस बात के पीछे भी अच्छा कारण ढूढूगा तो बहुत बार आपको ऐसी चीजें नजर आएँगी जो आपने कभी सोची नहीं होगी .

For example ” एक लड़की हमेसा irritate होक लड़के को कहती है कि मेरे साथ हमेसा एक hotel chose  करने में इतना टाइम क्यों लगता है , हो सकता है कि वो टाइम इसलिए ले रहा है कि वो आपको एक अच्छी जगह पर ले के जाना चाहता हो , he want to make sure कि वो आपको disappoint न करे , वो confuse नहीं है वो concerned है . ” ऐसे ही आप खुद को challenge करोगे कि दूसरों के action के पीछे कुछ अच्छा ढूंढना है , तो ऐसे बहुत सी चीजें आपके सामने आएँगी .

7. Action पे चर्चा करें .

जब भी कोई problem solve हो , जब भी कोई discussion हो , जब भी कोई misunderstanding clear हो उसके बाद आप खुद initiate करो कि आगे से इसे avoid करने के लिए क्या action लोगे और दुसरे को भी request करो के आपको ये actions लेने होंगे ताकि आगे से हम इन चीजों पे न झगड़े .

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