व्यय में वृद्धि के कारण केंद्र सरकार का वित्तीय घाटा चालू वित्त वर्ष के बजटीय अनुमान का 96.1 प्रतिशत तक पहुंच गया जबकि अगस्त महीने में पूंजीगत खर्च में बड़ी कमी आई है। लेखा महानियंत्रक के जारी आंकड़े में अप्रैल-अगस्त के दौरान अनुमानित वित्तीय घाटा 5.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है जबकि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 5.46 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था। 2016-17 के पहले पांचवें महीने में वित्तीय घाटा वार्षिक लक्ष्य के 76.4 प्रतिशत था।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में वित्तीय घाटे को जीडीपी के 3.2% तक सीमित रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है जो पिछले वर्ष में 3.5% था। सरकार ने कहा कि लक्ष्य पूरा किया जाएगा। उच्चस्तरीय अधिकारियों ने कहा कि इस वर्ष बजट थोड़ा पहले पेश किए जाने के कारण खर्च में बढ़ोत्तरी के कारण अगस्त तक वित्तीय घाटा उच्च स्तर पर पहुंच गया जबकि आमदनी साल के उत्तरार्ध में होगी। एक अधिकारी ने बताया कि इस वर्ष अब तक 1.48 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय हो चुका है। अगस्त तक कुल 9.5 लाख करोड़ रुपये के व्यय का अनुमान है जो पिछले वर्ष की इसी अवधि में 8 लाख करोड़ रुपये था।
पूंजीगत व्यय जो बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए इस्तेमाल में आता है, 20 प्रतिशत बढ़कर 1.09 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है जो अगस्त महीने में 28 प्रतिशत घटकर 14,522 करोड़ रुपये रहा। अधिकारियों का कहना है कि यह मौसमी कारकों की वजह से हुआ है और सरकार सुस्त निजी निवेश की भरपाई के लिए सरकारी खर्चे बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है। अप्रैल-अगस्त 2016 में पूंजीगत व्यय बजट अनुमान का 37 प्रतिशत था जबकि इस साल अब तक के वित्तीय घाटे का अनुमान लक्ष्य का 35.5 प्रतिशत है। वहीं कुल व्यय की बात की जाए तो यह 2017-18 के बजट अनुमान का 44.3 प्रतिशत है जो एक साल पहले 40.5 प्रतिशत था।
सीजीए डेटा से पता चलता है कि अप्रैल-अगस्त की अवधि में सरकार को 4.09 लाख करोड़ रुपये की आमदनी हुई है जो पूरे वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 15.15 लाख करोड़ रुपये का 27 प्रतिशत है। एक साल पहले इसी अवधि तक लक्ष्य का 28 प्रतिशत राजस्व हासिल हो चुका था।
आईसीआरए के प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2018 के शुरुआती महीनों में व्यय बढ़ने से अगस्त महीने में खर्च की गति सुस्त पड़ गई। अगस्त में राजस्व व्यय में जहां 2 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई, वहीं पूंजीगत व्यय सीधा 28 प्रतिशत पर आ गया। वित्तीय घाटा जुलाई के आखिर तक जिस स्तर पर था, उसमें इसलिए कमी आई क्योंकि अगस्त में व्यय कम हो गया।’
-एजेंसी
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