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Friday 29 September 2017

दिल की बीमारियों के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है जीवनशैली

दिल की बीमारियों के लिए काफी हद तक जीवनशैली जिम्मेदार है। खान पान में सुधार और तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल से तौबा कर इस बीमारी से बचा जा सकता है। हृदय की बीमारियों का खानपान से बहुत ही गहरा संबंध है। स्वस्थ हृदय के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसमें कम मात्रा में कलेस्ट्रॉल और सोडियम हो। सैचुरेटेड फैट वाले खाने से भी बचना चाहिए।
दिल की बीमारियां लाइफस्टाइल बीमारियां हैं, जिसे रोका जा सकता है। इसके लिए लोगाों को इसके प्रति जागरूक होना बेहद जरूरी है। जितना हो उतनी हरी सब्जियों का सेवन, सलाद की मात्रा खाने में बढ़ानी चाहिए। नियमित व्यायाम, भरपूर नींद और खुश रहकर दिल को हमेशा जवां रखा जा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार दिल से संबंधित अधिकतर बीमारियों का कारण शरीर में कलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा है। हालांकि कुछ मामलों में यह वंशागत भी होती है। डॉक्टरों के अनुसार कलेस्ट्रॉल शरीर को दो तरीके से मिलता है। एक लिवर खुद बनाता है जबकि दूसरे तरीकों में हम खाद्य पदार्थों के जरिए इसका निर्माण करते हैं। शरीर में दो तरह के कलेस्ट्रॉल होते हैं जिसे गुड और बैड कलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है। कलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक होने से यह धमनियों में कहीं भी जमने लगता है। अगर मस्तिष्क के धमनियों में यह जमे तो लकवा हो सकता है, जबकि हृदय की धमनियों में जमने से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या होती है। कलेस्ट्रॉल का मुख्य काम सेक्सुअल हार्मोंन्स के निर्माण में ,पाचन क्रिया को सुचारु रखने और कोशिकाओं को सुरक्षित रखने का होता है।
-रोजाना कम से कम 30 मिनट व्यायाम करें
-10000 कदम रोजना चलें, इससे शरीर स्वस्थ रहता है।
-जितना हो सके हरी सब्जियां खाएं
साल में एक बार बीपी व शुगर की जांच अवश्य करा लें
-पानी खूब पिएं, फल का भरपूर सेवन करें , फैट फ्री और कम फैट वाले डेयरी उत्पाद ही खाएं, नियमित रूप से योग करें
– तैलीय चीजों से दूर रहें
-जंक फूड से दूर रहें
-धूम्रपान बिल्कुल भी न करें
-मसालेदार और तीखी चीजों से भी परहेज करें
दिल से संबंधित बीमारियों को नियंत्रित में रखने के लिए सरगम पर कंट्रोल जरूरी है। जिस तरह संगीत में सरगम होता है उसी तरह जिंदगी में भी 7 सरगम होते हैं , गुस्सा, टेंशन, तंबाकू, धूम्रपान, तीखा, तला हुआ और मसालेदार चीजें हैं । नियमित जीवन में अगर इन सरगमों पर नियंत्रण कर लिया गया तो काफी हद तक हृदय संबंधित बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके अलावा खानपान और व्यायाम के बीच भी अच्छी तालमेल रखनी चाहिए। स्वस्थ शरीर के लिए जितना जरूरी पौष्टिक भोजन है उतना ही व्यायाम। हालांकि बेहतर परिणाम के लिए दोनों का होना जरूरी है।
तनाव के कारण न केवल मनोरोगियों की संख्या में बढ़ोतरी होती है, बल्कि इसके कारण दिल के मरीजों का आंकड़ा भी बढ़ता है। लोगों में दिल की बीमारियों के खतरे को जानने के लिए किए गए सफोला लाइफस्टाइल स्टडी के अनुसार 70 प्रतिशत मुंबईकर का मानना है कि नौकरी और बिजनस को लेकर उपजी तनाव की समस्या के कारण वे दिल की देखभाल नहीं कर पाते। नतीजतन वे इसका शिकार हुए हैं।
दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह धूम्रपान भी है। हार्ट अटैक का शिकार होने वाले 90 प्रतिशत लोग धूम्रपान करने वाले होते हैं। धूम्रपान के कारण हृदय की धमनियां खुरदुरी हो जाती है, जिसमें कलेस्ट्रॉल जमने लगता है। एक बार जब कलेस्ट्रॉल धमनियों में जमना शुरू हो जाता है तो दिल की बीमारियों की शुरुआत हो जाती है।
वायु प्रदूषण के कारण भी लोगों में दिल से संबंधित बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं। मुंबई में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों को जानने के लिए इंड्स हेल्थ प्लस की ओर से 20 हजार से अधिक लोगों पर सर्वे किया गया। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 7 हजार से अधिक लोगों में दिल से संबंधित बीमारियों का कारण वायु प्रदूषण है। रिपोर्ट के अनुसार 25-40 की उम्र के बीच 60 प्रतिशत से अधिक महिलाएं दिल की बीमारियों के प्रति लापरवाही बरतती हैं।
-एजेंसी

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