लखनऊ। उत्तर प्रदेश के डीजीपी सुलखान सिंह रिटायर हो गए। उन्हें सेवा विस्तार दिए जाने के कयास लगाए जा रहे थे। प्रदेश सरकार की तरफ से केंद्र को इसका प्रस्ताव भी भेजा गया था लेकिन उन्हें सेवा विस्तार नहीं मिला। शुक्रवार को उनकी विदाई हो गई।
कहीं नहीं यूपी जैसी पुलिस
पुलिस लाइन में डीजीपी का विदाई समारोह आयोजित किया गया। मानक परेड में सुलखान सिंह के साथ एडीजी पीएसी आरके विश्वकर्मा और एडीजी लखनऊ अभय कुमार प्रसाद भी शामिल हुए। डीजीपी ने सभी पुलिस अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यूपी पुलिस जैसा फोर्स कहीं नहीं है। यूपी पुलिस बहुत सारी चुनौतियों का सामना करके फिर खड़ी हुई। उन्होंने कहा कि 1990 से 1993 तक आतंकवाद का समय रहा। यूपी पुलिस ने उनके ज्वार को वापस भेज दिया। डीजीपी ने बताया कि उन्हे इस फोर्स का मुखिया बनाया गया था जिसने आतंकवादियों को यहां से भगाया।
आरक्षियों ने बचाई थी जान
उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जनवरी 1984 को उनकी पोलोकर बदमाश के साथ मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ के दौरान अचानक उनकी स्टेट गन की मैगजीन निकलकर बाहर गिर गई। तब उनके आरक्षी सामने आए और डकैतों का सामना करके उनकी जान बचाई। अगर उस दिन वे उनकी मदद न करते तो आज वह जिंदा नहीं होते। इतना ही नहीं कई बार ऐसा समय आया जब उनकी फोर्स ने अलग-अलग मौकों पर उनका साथ दिया। उन्होंने 1990 में क्रिमिनल से हुई लड़ाई का भी जिक्र किया। डीजीपी ने कहा कि कोई भी अधिकारी तब सफल होता है जब उसे उसके अधीनस्थ अधिकारी समर्थन करें और उसका साथ दें। 33 साल की सेवा में उनका बहुत अच्छा अनुभव रहा। उन्होंने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को भी धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी कामयाबी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का भी सहयोग रहा।
-एजेंसी
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