मुंबई। एलफिन्सटन रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में मरने वाले लोगों के माथे पर नंबर लिखे जाने का मामला सामने आया है, जिससे विवाद खड़ा हो गया है। मुंबई के केईएम अस्पताल ने शवों के माथे पर नंबर लिख दिए और फिर उनकी तस्वीरों को पब्लिक डिस्पले के लिए सौंप दिया। मृतकों के परिजन केईएम अस्पताल की इस असंवेदनशील पर नाराज हैं। असंवेदनशील रवैये को लेकर निशाने पर आए केईएम अस्पताल ने दावा किया है कि अराजकता की स्थिति से बचने के लिए ऐसा किया गया था। अस्पताल प्रशासन ने कहा कि मृतकों की तस्वीरों को फ्लेक्स बोर्ड पर लगाया गया था कि लोग आसानी से अपने परिजनों की पहचान कर सकें।
अस्पताल प्रशासन के इस संवेदनहीन रवैये की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना की जा रही है। एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘क्या केईएम अस्पताल ने मृतकों की पहचान और उनकी गिनती करने के लिए माथे पर नंबर लिख दिए?’ एक अन्य यूजर ने लिखा, ‘भगदड़ दुखद है! लेकिन उससे भी दुखद है मृतकों के शवों के साथ अस्पताल प्रशासन द्वारा किया गया बर्ताव।’
अस्पताल प्रशासन ने बताया कि 22 शवों की परिजनों द्वारा पहचान करवाना बेहद कठिन काम साबित होता क्योंकि लोग बड़े पैमाने पर आ रहे थे। केईएम हॉस्पिटल के फॉरंसिक साइंस डिपार्टमेंट के हेड डॉ. हरीश पाठक ने कहा, ‘यह बेहद अराजक और जटिल काम होता।’ अस्पताल के फैसले का बचाव करते हुए पाठक ने शुक्रवार शाम को ही बयान जारी कर स्पष्टीकरण दिया था।
बयान के अनुसार, ‘हमने सभी शवों की तस्वीरें ली थीं। उन पर नंबर डाले और उन्हें लैपटॉप स्क्रीन और फ्लेक्स बोर्ड पर परिजनों को दिखाया।’ अस्पताल ने सफाई देते हुए कहा कि अटॉप्सी के बाद माथे पर लिखे गए नंबरों को मिटा दिया गया। डॉ. पाठक ने कहा कि शवों की पहचान के लिए अस्पताल की ओर से ‘तेज, सम्मानजक और मजबूत’ प्रक्रिया अपनाई गई। इसकी निंदा करना गलत होगा।
-एजेंसी
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