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Thursday 28 September 2017

नफरतें कभी जीत नहीं सकतीं – सय्यद सलमान चिश्ती

अजमेर। दरगाह हज़रत ख़्वाजा गरीब नवाज़ रहमतुल्लाह अलैह में छटी के मौके पर चिश्ती मंज़िल में मैसेज ऑफ कर्बला नाम से ऑल इण्डिया उलमा मशाइख़ बोर्ड ने कार्यक्रम आयोजित किया जिसकी सरपरस्ती बोर्ड के संरक्षक हज़रत मौलाना सय्यद मोहम्मद मेंहदी मियां चिश्ती ने की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता बोर्ड की अजमेर शाखा के अध्यक्ष हज़रत मौलाना सय्यद शाहिद चिश्ती ने की उन्होंने कहा कि इस वक़्त दुनिया को अगर बचाया जा सकता है तो वह तरीका हज़रत इमाम हुसैन का तरीका है, ज़ुल्म के खिलाफ खामोश रहना भी ज़ुल्म है । समाज में ज़ुल्म बढ़ रहा है जो ताकतवर है वह कमजोर को जीने नहीं देना चाहता नतीजा यह कि हर तरफ लोग परेशान हैं, सब को इन नफरतों के खिलाफ मोहब्बत लेकर खड़ा होना होगा यही पैगाम कर्बला का है जिसे हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज़ ने आगे बढ़ाया और फरमाया मोहब्बत सबके लिये नफरत किसी से नहीं।

बोर्ड के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव हाजी सय्यद सलमान चिश्ती ने कहा कि नफ़रतें कभी जीत नहीं सकतीं थोड़ी देर को ऐसा धोका हो सकता है कि नफरत जीत गई लेकिन इस हकीकत को छुपाया नहीं जा सकता कि नफरत हार गई मोहब्बत ही जीती है इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की शहादत से यही संदेश मिलता है लोगों ने देखा कि इमाम का पूरा घर कर्बला में है हर वह रिश्ता जिसे हम सबसे ज़्यादा अहमियत देते हैं कर्बला में मौजूद है और सबकी शहादत होती है खेमो को लूटा जाता है लेकिन यह सब होने के बाद मकसदे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम जीत जाता है और यजीद की ऐसी हार होती है कि ताक़यामत हर रोज़ वह हारता है जब कहीं सच जीतता दिखता है उसमे यजीद की हार नजर आती है ।

उन्होंने कहा कि कर्बला का यही पैगाम है कि नफरत कभी जीत नहीं सकती और मोहब्बत को हराया नहीं जा सकता लिहाजा करबला के इस मैसेज को हमे आत्मसात करते हुए हमें दुनिया में मोहब्बतें बांटनी है तभी हम इमाम हुसैन के सच्चे गुलाम कहलाने के हकदार हैं ।

कार्यक्रम में बोर्ड के दिल्ली कार्यालय के ज़िम्मेदार मौलाना मुख्तार अशरफ ने बोलते हुए कहा कि सर कटा कर सर कैसे बुलंद किया जाता है यह मिसाल कर्बला के अलावा कहीं और नहीं मिलती हर तरफ ज़ुल्म के मुकाबले में धैर्य जीत गया ऐसी अद्भुत जंग कहीं नहीं मिलती। उन्होंने कहा सर काटने वाला हार गया और जिसने अपना सर्वस्व सत्य के लिए लुटा दिया यहां तक की सर तन से जुदा हो गया लेकिन जीत इमाम की हुईं क्योंकि जिसका मकसद जीत जाता है फतह उसकी होती है ।

विचारधारा हुसैन अलैहिस्सलाम की जीती और ज़ालिम यजीद हमेशा के लिये मिट गया, यह है हुसैनियत कि मकसद पर कायम रहना, अपने पथ से न डिगना, सत्य के लिये सबकुछ कुर्बान करने का जज्बा रखना, ज़ुल्म के खिलाफ खड़े होना, यह मेरे इमाम का सदका है कि लोग ज़ुल्म के खिलाफ खड़े होना सीखे और रहती दुनिया तक कोई ऐसा सत्य के लिए, अन्याय के खिलाफ होने वाला आंदोलन नहीं होगा जिस पर कर्बला का असर न दिखाई दे। यह है करबला की जीत और इसका पैगाम यह है कि हर हाल में ज़ुल्म को रोकने के लिये खड़ा होना होगा ।
कार्यक्रम में काफी तादाद में जायरीन शामिल हुए कार्यक्रम के अंत में सलातो सलाम के बाद मुल्क सहित सम्पूर्ण विश्व में शांति की स्थापना की दुआ की गई।
-PR

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