गया। भारत की सनातन परंपरा का आकर्षण Foreigners को भी यहां खींच लाया है। पूर्वजों को मोक्ष दिलाने वे यहां की पवित्र धरती पर आ रहे हैं। इसी क्रम में विदेशियों का एक जत्था गुरुवार को गयाजी पहुंचा।
धर्म और सांस्कृतिक स्तर पर बिल्कुल अलग पहचान रखने के बावजूद विदेशी महिला सैलानियों को पूर्वजों की मुक्ति के लिए विश्व में मुक्तिधाम के रूप में विख्यात बिहार के गया में फल्गू नदी के तट पर पिंडदान करने आने से सात समंदर भी नहीं रोक पाया, धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के विपरीत होने के बावजूद केवल आस्था का संबल लिये अमेरिका, रूस, यूक्रेन और कनाडा से आयी 20 महिला सैलानियों ने आज फल्गु नदी के किनारे देवघाट पिंडवेदी पर इस विश्वास के साथ पिंडदान और तर्पण किया कि उनके पूवर्जों को मुक्ति जरूर मिल जाएगी।
विदेशियों ने बताया कि ये लोग भारतीय संस्कृति से काफी प्रभावित हैं। यहां आने वाले पर्यटकों ने गयाजी पहुंचने के बाद पावन भूमि को नमन किया। वे यहां की सनातन परंपरा से काफी प्रभावित हैं। पितृपक्ष में वे अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व कर्मकांड किया।
गुरूवार को रूस, जर्मनी आदि देशों के Foreigners श्रद्धालुओं का स्वागत गया जंक्शन पर प्रशिक्षु आइएएस अधिकारी ऋचि पांडेय ने किया। 19 सदस्यीय विदेशी श्रद्धालु नई दिल्ली से पुरूषोत्तम एक्सप्रेस ट्रेन से यहां पहुंचे। टीम का नेतृत्व लोकनाथ गौड़ कर रहे हैं। भारतीय सभ्यता संस्कृति से प्रभावित होकर विदेश से अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए यहाँ आये है।
मोक्षस्थली गया जी में पितरों की मुक्ति के महापर्व पितृपक्ष मेला के दौरान देवघाट का नजारा आकर्षक होने के साथ ही सम्मोहक भी था।
Foreigners श्रद्धालुओं का एक समूह अपने पितरों की मुक्ति की कामना लिये तर्पण एवं पिंडदान कार्यों में जुटा था।
-एजेंसी
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