2 Line Shayari, Ek dana mohabbat ka | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Friday 20 October 2017

2 Line Shayari, Ek dana mohabbat ka

एक दाना मोहब्बत का क्या बोया मैंने,
सारी फसल ही दर्द की काटनी पड़ी मुझे।


परदा तो होश वालों से किया जाता है हुज़ूर,
तुम बे-नक़ाब चले आओ हम तो नशे में हैं।
अंजान अगर हो तो गुज़र क्यूँ नहीं जाते,
पहचान रहे हो तो ठहर क्यूँ नहीं जाते।
मैं मर जाऊं तो रोना मत.. बस ज़रा सा,
मुस्कुरा दोगे तो मुझे सुकून मिल जाएगा।
एहसास ना रहे तो रिश्तों को तोड़ देना बेहतर है,
ताल्लुक़ जब तकल्लुफ़ बन जाए तो बोझ सा लगता है।
एक पहर भी नहीं गुज़रा तुझसे रुखसत होकर,
और यूँ लग रहा है कि जैसे सदियां गुज़र गई।
वो शख्स मेरे हर किस्से कहानी में आया,
जो मेरा हिस्सा होकर भी मेरे हिस्से ना आया।
मुझे कुछ भी नहीं कहना फ़क़त इतनी गुज़ारिश है,
बस उतनी बार मिल जाओ के जितना याद आते हो।
नजर अंदाज ही करना चाहते हो तो हट जाते है नजर से,
एक दिन इन्हीं नज़रों से ढूंढोगे जब हम नजर नहीं आयेंगे।
गम की उलझी हुई लकीरों में अपनी तक़दीर देख लेता हूँ,
आईना देखना तो दूर रहा बस तेरी तस्वीर देख लेता हूँ।

The post 2 Line Shayari, Ek dana mohabbat ka appeared first on Shayari, Hindi Shayari.

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad