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Monday, 2 October 2017

कला-विज्ञान का मिला-जुला रूप है Architecture: ज्योति जैन

संस्कृति विश्वविद्यालय में Architecture इन अवर लाइफ विषय पर व्याख्यान

मथुरा। कला-विज्ञान का मिला-जुला रूप होता है Architecture, हम प्रायः ऊंची-ऊंची गगनचुम्बी इमारतों, मल्टीप्लेक्सों, कलात्मक एवं भव्य मंदिरों, मालों आदि को देखकर आश्चर्य में पड़ जाते हैं। हमारे मानस में तरह-तरह के सवाल उठने लगते हैं। हम सोचने लगते हैं कि आखिर इस निर्माण कार्य को किस प्रकार से अंजाम दिया गया होगा। दरअसल यह सब एक कुशल आर्किटेक्चर का ही कौशल होता है। आर्किटेक्चर कला-विज्ञान का मिला-जुला रूप है यह बातें आर्किटेक्चर इंजीनियर ज्योति जैन ने आर्किटेक्चर इन अवर लाइफ विषय पर संस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यशाला में छात्र-छात्राओं को बताईं।

आर्किटेक्चर इंजीनियर ज्योति जैन ने बताया कि भवन निर्माण में लोगों की व्यावहारिक तथा अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आर्किटेक्ट की सेवाएं लेने का चलन सदियों पुराना है। एक आर्किटेक्ट केवल भवनों का खाका ही तैयार नहीं करता है बल्कि भवन निर्माण में अपने कौशल का भी प्रदर्शन करता है। वास्तु व शिल्प का मिला-जुला रूप ही वास्तुकला होता है। सही मायने में आर्किटेक्ट का काम किसी आइडिया को मूर्तरूप देना और कंक्रीट के रूप में जमीन पर उतारना है। एक आर्किटेक्ट को यह भी खास ध्यान रखना पड़ता है कि उसकी योजना में अग्निशमन नियमों, भवन निर्माण सम्बन्धी कानूनों और अन्य आवश्यक बातों का उल्लंघन न हो। एक आर्किटेक्ट के लिए अभियांत्रिकीय सिद्धांतों की समझ, निर्माण विधियों, सामग्री तथा पर्यावरण तकनीक की नवीनतम जानकारी होना भी नितांत आवश्यक है। किसी आर्किटेक्ट की काबिलियत इस बात पर निर्भर करती है कि वह जगह और साधनों के बेहतर इस्तेमाल में कितना कुशल है।

कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने अपने संदेश में कहा कि हमारा प्रयास है कि यहां अध्ययनरत छात्र-छात्राएं पढ़ाई के साथ-साथ ऐतिहासिक परिसरों को करीब से देखें इससे उनका सर्वांगीण विकास होगा। आर्किटेक्चर आज के दौर का बेहतरीन सम्भावनाओं से भरा करियर क्षेत्र है लिहाजा छात्र-छात्राएं अपनी कल्पना को सकारात्मक रूप देकर भविष्य संवार सकते हैं। इस अवसर पर कुलपति डा. देवेन्द्र पाठक ने कहा कि वास्तुकला भवनों की संरचना, नियोजन और डिजाइन के बारे में एक विशेष अध्ययन है। इसमें रचनात्मक कौशल का प्रयोग कर भवन निर्माण के संबंध में लोगों की व्यावहारिक तथा अन्य आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इमारत का डिजाइन तैयार किया जाता है। आर्किटेक्चर के क्षेत्र में सफलता के लिए रचनात्मकता, अच्छी गणितीय क्षमता, वर्तमान सामाजिक और पर्यावरण संबंधी मुद्दों के प्रति जागरूकता, अवलोकन की दक्षता तथा पेशे से संबंधित जटिल कानूनी भाषा को समझने की क्षमता, नेतृत्व कौशल, सहनशक्ति और पर्यवेक्षी कौशल जैसे गुणों का होना भी जरूरी है।

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