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Sunday, 8 October 2017

वडनगर में प्रधानमंत्री ने कहा, आज में अपने गांव की मिट्टी से नई ऊर्जा लेकर जा रहा हूं

वडनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने गुजरात दौरे के दूसरे और आखिरी दिन रविवार को अपने गांव वडनगर पहुंचे। प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार अपने गांव पहुंचे मोदी वहां लोगों से मिले प्यार से अभिभूत दिखे। अपने स्कूल पहुंचकर जहां वह भावुक हुए, वहीं वडनगर की रैली में लोगों से मिले अपनेपन और प्यार पर आभार जताया। उन्होंने कहा कि वह आज जो कुछ भी हैं, वह वडनगर की मिट्टी की वजह से हैं।
प्रधानमंत्री ने जनरल के. एम. करिअप्पा के एक भाषण का जिक्र कर वडनगर के लोगों का आभार जताया। उन्होंने कहा, ‘एक बार भारत की सेना के अध्यक्ष जनरल करिअप्पा कर्नाटक के अपने गांव में गए थे तब उन्होंने एक भाषण दिया था। उन्होंने कहा था कि वह सेना के मुखिया थे, दुनिया में कहीं भी जाते थे तो उनका भव्य सम्मान होता था लेकिन जब वह गांव गए तो उन्होंने कहा कि दुनिया में मुझे बहुत स्वागत और सम्मान मिला है। लाखों सिपाहियों ने सलाम किया है लेकिन अपने गांव में, अपने घर में जब स्वागत-सम्मान होता है तो उसकी अनुभूति कुछ और होती है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी पाया है, वह वडनगर की वजह से ही पाया है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जिस तरह से इस इलाके के लोगों ने खासकर वडनगर के लोगों ने मुझे प्यार दिया है…अपने प्यार से भिगो दिया है…मैं आज सर झुकाकर आपको नमन करता हूं, इस धरती को नमन करता हूं। सार्वजनिक जीवन में इतने वर्षों के बावजूद भी इतना प्यार, इतना दुलार ये अपने आप में हृदय को छूने वाली घटना है। आज मैं जो कुछ भी हूं, इसी मिट्टी के संस्कारों के कारण हूं। इसी मिट्टी में खेला हूं, आप ही के बीच में पला बढ़ा हूं।’
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने अंदाज में पुराने दोस्तों को याद किया। उन्होंने कहा, ‘आज जब मैं हाटेश्वर महादेव का दर्शन करने जा रहा था तो रास्ते भर में पूरा नगर आशीर्वाद देने के लिए उमड़ पड़ा था। हर उम्र के लोग मौजूद थे। बहुत परिचित चेहरे मेरे सामने से गुजर रहे थे, बचपन की यादें ताजा हो गईं। मैंने आज बहुत पुराने दोस्तों को देखा। कुछ के अब दांत नहीं बचे हैं। कुछ पुराने दोस्तों को देखा, हाथ में लकड़ी लेकर चल रहे हैं। उन सारी पुरानी स्मृतियों को मैंने आज भली-भांति देखा, हृदय को अपार खुशी मिली। आज में अपने गांव की मिट्टी से नई ऊर्जा लेकर जा रहा हूं। मैं पहले से ज्यादा पुरुषार्थ और मेहनत करूंगा। आपने जो मुझे समझाया, दिनोंदिन सिर ऊंचा करता रहूं, प्रयास में कमी नहीं रखूंगा।’
प्रधानमंत्री ने वडनगर की ऐतिहासिकता का जिक्र करते हुए कहा कि ढाई हजार सालों से यह जीवित रहा है, कभी मृतप्राय: नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि जब वह पहली बार मुख्यमंत्री बने तो पुरातत्व विभाग को वडनगर में खुदाई करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि तब कुछ लोगों ने उनके इस फैसले पर सवाल उठाया था लेकिन खुदाई से वडनगर की प्राचीनता के बारे में जानकारी मिली। पीएम ने कहा कि वडनगर में बौद्ध भिक्षुओं ने शिक्षा-दीक्षा हासिल की थी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मेरी चीन यात्रा पर चीन के राष्ट्रपति मुझे अपने गांव ले गए…उन्होंने बताया कि मशहूर चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत में वडनगर में रुके थे और चीन लौटने पर वह चिनफिंग के गांव में रुके थे…चीनी राष्ट्रपति ने मुझे ह्वेनसांग के हाथ से लिखे नोट को दिखाया…वडनगर पहले आनंदपुर नाम से जाना जाता था जिसका वर्णन ह्वेनसांग ने किया था।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले दिनों में वडनगर पर्यटन का बड़ा केंद्र बनेगा। बाद में प्रधानमंत्री खुद को अपनी मातृभाषा गुजराती में बोलने से नहीं रोक पाए और काफी समय तक गुजराती में भी भाषण दिया।
-BBC

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