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Saturday 14 October 2017

प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब ‘The coalition years’ के जरिए किया बड़ा खुलासा

नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपनी किताब ‘The coalition years’ के जरिए बड़ा खुलासा किया है। प्रणब ने अपनी किताब के जरिए कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी ने साल 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री आईके गुजराल की संयुक्त मोर्चा की सरकार को अस्थिर करने में बड़ी भूमिका निभाई थी।

प्रणब ने इसकी वजह सीताराम केसरी के खुद के प्रधानमंत्री बनने की इच्छा को बताया है।

कांग्रेस ने जैन कमीशन की प्रारंभिक रिपोर्ट के बाद आईके गुजराल की सरकार से समर्थन वापस लेने की मांग की। जैन कमीशन की रिपोर्ट ने सलाह दी थी कि डीएमके और इसका नेतृत्व लिट्टे नेता वी प्रभाकरन और उसके समर्थकों को बढ़ावा देने में शामिल था। कांग्रेस गुजराल सरकार को बाहर से समर्थन दे रही थी।

‘ऐसे में कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस क्यों लिया? तब केसरी द्वारा बार-बार दोहराने वाली लाइन मेरे पास वक्त नहीं है का क्या मतलब था? बहुत सारे कांग्रेसी यह अनुमान लगाते हैं कि इसका आशय उनके प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा से था। मुखर्जी कहते हैं ‘उन्होंने भाजपा विरोधी भावनाओं का लाभ उठाने की कोशिश की। उन्होंने गैर भाजपा सरकार का स्वयं के नेतृत्व के लिए प्रयास किया।’

‘पीएम पद के लिए प्रणब ज्यादा योग्य थे’

इससे पहले शुक्रवार को दिल्ली में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की नई किताब ‘गठबंधन के वर्ष 1996-2012’ के विमोचन के मौके पर मनमोहन सिंह ने कहा, ‘सोनिया गांधी ने 2004 में मुझे प्रधानमंत्री बनने के लिए चुना था, तब प्रणब मुखर्जी इस पद के लिए हर लिहाज से श्रेष्ठ थे, लेकिन वह (मुखर्जी) जानते थे कि मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता था।’

कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी भी मौजूद थे। पूर्व प्रधानमंत्री ने जब यह बात कही तो सोनिया गांधी मुस्कुरा दीं। मनमोहन ने कहा, ‘प्रणब मुखर्जी अपनी पसंद से राजनीति में आए थे और मैं संयोग से। मुझे पीवी नरसिंह राव संयोग से राजनीति में लाए और उन्होंने मुझे वित्त मंत्री बनने को कहा।

मुखर्जी व राकांपा नेता शरद पवार मेरी सरकार के वरिष्ठ मंत्री थे और दोनों बड़े क्षमतावान थे। यदि संप्रग सरकार आसानी से चल पाई तो उसका बड़ा श्रेय प्रणब मुखर्जी को जाता है। जब भी पार्टी या सरकार के सामने कोई समस्या आती थी तो मुखर्जी का अनुभव और समझदारी सबसे ज्यादा मददगार होती थी।’

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी एक बार फिर अपनी नयी किताब के जरिये नये खुलासों के साथ देश से रू-ब-रू हुए हैं.

इस बार उनके लेखन के केंद्र में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं, क्योंकि उन्होंने जिस दौर पर किताब लिखी है, उसमें सबसे ज्यादा नेतृत्व इन्हीं दो शख्सीयत ने किया. प्रणब मुखर्जी की किताब द कोलिशन ईयर्स 1996-2012 का विमोचन कल ही हुआ है और उन्होंने एक इंटरव्यू में भी कई बातें कही हैं. जिस कालखंड का इस किताब में प्रणब मुखर्जी ने उल्लेख किया है, उसके कई अहम नेताओं पर प्रणब मुखर्जी ने कलम चलायी है. पार्टी प्रमुख व राजनीतिक बॉस की हैसियत से सोनिया गांधी, यूपीए के प्रधानमंत्री के रूप में डॉ मनमोहन सिंह, संयुक्त मोर्चा के प्रधानमंत्री के रूप में देवेगौड़ा व गुजराल, कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सीताराम केसरी सहित शरद पवार व अन्य नेताओं पर प्रणब मुखर्जी ने लिखा है.

उन्होंने आर्थिक सुधार करने वाले पीवी नरसिंह राव की तारीफ की है कि कैसे मुश्किलों से उन्होंने देश को निकाला और उसकी कीमत चुनावी हार के रूप में चुकानी पड़ी. इस दौर की राजनीतिक परिस्थिति को जानने समझने के लिए इस किताब ‘The coalition years’ को पढ़ना दिलचस्प है. -एजेंसी

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