वाराणसी। सबसे बड़ा हिन्दी novel लिखने वाले प्रख्यात साहित्यकार लेखक व चिंतक पद्मश्री मनु शर्मा का निधन हो गया। स्वच्छ भारत अभियान के नवरत्नों में शामिल थे मनु शर्मा। वरिष्ठ साहित्यकार और हिन्दी में सबसे बड़ा उपन्यास लिखने वाले मनु शर्मा का आज सुबह वाराणसी में निधन हो गया. वह 89 वर्ष के थे. शर्मा का उपन्यास ‘‘कृष्ण की आत्मकथा’’ आठ खण्डों में आया है और इसे हिन्दी का सबसे बड़ा उपन्यास माना जाता है. इसके अलावा उन्होंने हिन्दी में तमाम उपन्यासों की रचनाएं की.
शर्मा के पुत्र हेमंत शर्मा ने बताया कि उनके पिता का आज सुबह साढ़े छह बजे वाराणसी स्थित आवास पर निधन हुआ. उन्होंने बताया कि शर्मा का कल अंतिम संस्कार वाराणसी में किया जाएगा.
उनका जन्म 1928 को शरद पूर्णिमा को फैजाबाद के अकबरपुर में हुआ था. उन्होंने हिन्दी में कई उपन्यास लिखे जिनमें ‘‘कर्ण की आत्मकथा’’, ‘‘द्रोण की आत्मकथा’’, ‘‘द्रोपदी की आत्मकथा’’, ‘‘के बोले मां तुमि अबले’’, ‘‘छत्रपति’’, ‘‘एकलिंग का दीवाना’’, ‘‘गांधी लौटे’’ काफी विख्यात हुए. उनके कई कहानी संग्रह और कविता संग्रह भी आये. शुरूआत में वह हनुमान प्रसाद शर्मा के नाम से लेखन करते थे.
शर्मा को उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वोच्च सम्मान ‘यश भारती’ से सम्मानित किया जा चुका है.
उन्हें गोरखपुर विश्वविद्यालय से मानद डीलिट. की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था. इसके अलावा उन्हें तमाम पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका था.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘‘स्वच्छ भारत अभियान’’ के तहत जिन प्रारंभिक नौ लोगों को नामित किया था उनमें से एक मनु शर्मा भी थे.
‘कृष्ण की आत्मकथा’ का आठवां और अंतिम भाग
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कृष्ण के अनगिनत आयाम हैं। दूसरे उपन्यासों में कृष्ण के किसी विशिष्ट आयाम को लिया गया है। किन्तु आठ खण्डों में विभक्त इस औपन्यासिक श्रृंखला ‘कृष्ण की आत्मकथा’ में कृष्ण को उनकी संपूर्णता और समग्रता में उकेरने का सफल प्रयास किया गया है। किसी भी भाषा में कृष्णचरित को लेकर इतने विशाल और प्रशस्त कैनवस का प्रयोग नहीं किया गया है।
यथार्थ कहा जाए तो ‘कृष्ण की आत्मकथा’ एक उपनिषदीय ग्रन्थ है। श्रृंखला के आठ खण्ड इस प्रकार है :
नारद की भविष्यवाणी
दुरभिसंधि
द्वारका की स्थापना
लाक्षागृह
खांडव दाह
राजसूय यज्ञ
संघर्ष
प्रलय
मुझे देखना हो तो तूफानी सिंधु की उत्ताल तरंगों में देखो। हिमालय के उत्तुंग शिखर पर मेरी शीतलता अनुभव करो। सहस्रों सूर्यों का समवेत ताप ही मेरा ताप है। एक साथ सहस्रों ज्वालामुखियों का विस्फोट मेरा ही विस्फोट है। शंकर के तृतीय नेत्र की प्रलयंकर ज्वाला मेरी ही ज्वाला है। शिव का तांडव मैं हूँ ; प्रलय में मैं हूँ, लय में मैं हूँ, विलय में मैं हूँ। प्रलय के वात्याचक्र का नर्तन मेरा ही नर्तन है। जीवन और मृत्यु मेरा ही विवर्तन है। ब्रह्मांड में मैं हूँ, ब्रह्मांड मुझमें है। संसार की सारी क्रियमाण शक्ति मेरी भुजाओं में है। मेरे पगों की गति धरती की गति है। आप किसे शापित करेंगे, मेरे शरीर को ? यह तो शापित है ही – बहुतों द्वारा शापित है ; और जिस दिन मैंने यह शरीर धारण किया था उसी दिन यह मृत्यु से शापित हो गया था।
मनु शर्मा का सबसे बड़ा हिन्दी novel ‘कृष्ण की आत्मकथा’ 8 खण्डों में आया है और इसे हिन्दी का सबसे बड़ा उपन्यास माना जाता है।
-एजेंसी
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