थिरुचेंदुर मुरुगन मंदिर, तमिलनाडु | Thiruchendur Murugan Temple | Alienture हिन्दी

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Wednesday 8 November 2017

थिरुचेंदुर मुरुगन मंदिर, तमिलनाडु | Thiruchendur Murugan Temple

Thiruchendur Murugan Temple – थिरुचेंदुर मुरुगन मंदिर भगवान मुरुगन को समर्पित एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जो भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित है। इस मंदिर का पौराणिक नाम जयंतिपुरम है। साथ ही यह मंदिर मुरुगन के छः मुख्य निवासस्थान में से एक है। साथ ही छः पवित्र मंदिरों में से यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जो समुद्र किनारे पर बना हुआ है।
Thiruchendur Murugan Temple

थिरुचेंदुर मुरुगन मंदिर, तमिलनाडु – Thiruchendur Murugan Temple

यह भारत के विशालकाय मंदिर परिसरों में से एक और साथ ही भारत के सर्वाधिक पवित्र मंदिरों में से भी एक है। ISO सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाला यह तमिलनाडु का चौथा मंदिर है।

यह मंदिर भारत के तमिलनाडु राज्य के तूतीकोरिन जिले के थिरुचेंदुर गाँव के पूर्वी अंत में बना हुआ है। यह मंदिर तिरुनेलवेली से 60 किलोमीटर, तूतीकोरिन से 40 किलोमीटर और कन्याकुमारी के उत्तर-पूर्व से 75 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। यह मंदिर बंगाल की खाड़ी के किनारे पर बना हुआ है।

थिरुचेंदुर मुरुगन मंदिर इतिहास – Thiruchendur Murugan Temple History:

प्राचीन कनकं कविताओ में मुरुगन का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार मंदिर तिर्रुच्सिरालैवय में स्थापित था, जिसे थिरुचेंदुर मंदिर का नाम दिया गया। 1646 से 1648 के बीच पुर्तगालियो से चल रहे युद्ध की वजह से यह मंदिर डच ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में था।

इन 2 वर्षो में स्थानिक लोगो ने मंदिर को आज़ाद करवाने की काफी कोशिश की थी, लेकिन उनकी सभी कोशिशे व्यर्थ रही। अंततः नायक शासको के आदेश पर डच ने यह मंदिर खाली कर ही दिया था। मंदिर को छोड़कर जाते समय डच ने बहुत सी मूर्तियों को हटा दिया था, जिन्हें बाद में 1651 में मदुराई नैकार के साथ हुई लंबी चर्चा और बहस के बाद लौटाया गया।

1868 में 3 पुजारियों ने मंदिर के पुनर्निर्माण और उद्धार के लिए धन जमा करने के उद्देश्य से आंदोलन किया। इसके बाद 1941 में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया। 1971 में यहाँ और अधिक गोपुरम भी शामिल किये गए।

मुरुगन के सभी छः निवासस्थानो का उल्लेख पुराण में किया गया है। इन छः निवासस्थानो में थिरुचेंदुर दूसरा सबसे महत्वपूर्ण निवासस्थान है। इस स्थान को अलग-अलग नामो से भी जाना जाता है, तमिल साहित्य और कविताओ में इसका उल्लेख थिरुचीरालैवाई, थिरुचेंथिल और थिरुचेंथियूर के नाम से भी किया गया है।

मंदिर में मुख्य देवता की पूजा भी बहुत से नाम जैसे सेंथिलंदावन, सेंथिलकुमार और दुसरे बहुत से नामो से की जाती है।थिरुचेंदुर को छोड़कर पांच दुसरे अरुपदिवीदुस में निम्न शामिल है : पालनी, स्वामिमलाई, थिरुथानी, पज्हमुदिर्चोलाई और थिरुपरमकुंरम।

संत नक्कीरार ने अपनी कविताओ में इन देवताओ और मंदिरों का भी उल्लेख किया है। यह मंदिर पश्चिमी घाट के दक्षिणी शीर्ष पर वेलिमलाई नामक पहाड़ी की तलहटी पर बना हुआ है।

यह वही स्थान है जहाँ मुरुगा ने अपनी दूसरी पत्नी वल्ली देवी से विवाह किया था। थालावारालारू में बहुत सी नदियाँ, जल निकाय और रमणीक जगहे है और साथ ही पुराण में इससे जुडी बहुत सी कथाये भी है।

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