
2G स्पेक्ट्रम मामला यूपीए सरकार के दौरान चर्चा में आया। घोटाले के आरोप लगे। हालांकि, गुरुवार को आए फैसले में किसी को भी दोषी करार नहीं दिया गया। दरअसल, यह विवाद नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ था। इसमें कहा गया था कि स्पेक्ट्रम एलोकेशन (आवंटन) गलत तरीके से किए जाने की वजह से सरकार को 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपए का रेवेन्यू लॉस (राजस्व नुकसान) हुआ। यह अनुमान कैग ने ही लगाया था।
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