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Friday 15 December 2017

कैसे जीऊ मैं खुशहाल ज़िन्दगी | एक और अधूरी मोहब्बत

कैसे जीऊ मैं खुशहाल ज़िन्दगी
उसकी मोहब्बत ने हमको मारा हैं

रखा था जो दिल संभाल कर
उस दिल को हमने हारा हैं

बनता हैं महफ़िलो की शान वो
पर बनता ना मेरा सहारा हैं

दूर भी हम कैसे रह सकते हैं
इंसां वो सबसे लगता प्यारा हैं

जाए कहा अब उसे छोड़ कर
बिन उसके ना अब गुजारा हैं

इंतजार में कटते हैं दिन और रात
दूजा ना अब कोई और चारा हैं

 

~ पूनम

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