एक बार मुल्ला नसरुदीन के गाँव में कोई फ़कीर आया। उस फ़कीर का दावा था कि वो किसी भी अनपढ़ को अपनी विद्या से कुछ ही पलों में साक्षर कर सकता है। उसके बाद वह व्यक्ति कोई भी किताब या साहित्य आसानी से पढ़ पाएगा |
मुल्ला को फ़कीर के बारे में जैसे ही जानकारी हुई तो वह दौड़ा-दौड़ा वंहा पहुंचा और फ़कीर से पूछने लगा कि क्या आप मुझे साक्षर कर सकते हैं?
इस पर फ़कीर ने कहा- हाँ, क्यों नहीं… मेरे नजदीक आओ | मुल्ला फ़कीर के नजदीक पहुंचा तो फ़कीर ने मुल्ला के सिर पर हाथ रखा और कुछ देर बाद उससे बोला कि अब जाओ और कुछ पढ़ो |
मुल्ला अपने घर लौटा और आधे घंटे बाद वापस हांफता हुआ फ़कीर के ठिकाने पर जा पहुंचा|
क्या हुआ इतने बदहवास क्यों हो, क्या तुमने कुछ पढ़कर देखा? वहां मौजूद लोगों का मुल्ला से सवाल था।
लोगों के सवाल पर मुल्ला ने जवाब दिया “हाँ मैं पढ़ सकता हूँ, पर मैं ये बताने नहीं आया। मुझे तो आप लोग यह बताओ वह ढोंगी फ़कीर है कंहा?”
लोग कहने लगे कि जिस फ़कीर ने तुम्हे कुछ ही मिनटों में पढ़ने लायक बना दिया, तुम उसी को ढोंगी कह रहे हो। शायद तुम पागल हो गये हो। लोगों के यह कहने पर मुल्ला ने बताया- मैंने जाते ही जो किताब पढ़ी उसमे लिखा हुआ है “सारे फ़कीर ढोंगी और बदमाश होते है ” इसलिए मैं उस फ़कीर को ढूंढ रहा हूँ |
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