आजकल की जनरेशन में बच्चे बेहद स्मार्ट होते हैं इसलिए वे जल्द ही अपनी आस-पास की चीजों को समझने लगते हैं और तरह-तरह के सामानों के लिए जिद करते हैं। शुरू में तो मां-बाप बच्चों की हर जिद दुलार में पूरी करते हैं मगर जब उनकी मांग और खर्च का स्तर बढ़ने लगता है तो उन्हें परेशानी भी होती है। बच्चे जिद्दी होते हैं इसलिए उन्हें समझाना आसान नहीं होता है। इसी तरह की जिद को पूरी करते रहने और न समझाने से बच्चों को धीरे-धीरे फिजूलखर्ची की आदत हो जाती है। बच्चों की इस आदत को सुधारा जा सकता है अगर उन्हें बचपन से ही कुछ बातों की सीख दी जाए। ये हैं कुछ बातें जिनकी मदद से आप अपने बच्चों को फिजूलखर्ची से रोक सकते हैं और बचत के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
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बच्चों की जिद पूरी कर उन्हें न बिगाड़ें
बचपन से ही मां-बाप बच्चों की जिद के आगे हार मान लेते हैं और इसी लिए बच्चा जिद्दी हो जाता है। बच्चों की आदत होती है कि जो चीज उन्हें चाहिए अगर वो न मिले तो वो रोने लगते हैं। लेकिन यहां ध्यान देने की बात ये है कि अगर आप ठीक समझें तो ही बच्चों की ऐसी जिद मानें अन्यथा उन्हें समझाएं। अगर वो नहीं समझते और रोते हैं बहुत परेशान न हों बच्चे बहुत जल्दी ऐसी बातें भूल जाते हैं।
बच्चों को बताएं बचत का महत्व
असल में बच्चों को कोई भी चीज जरूरत से ज्यादा लेने की आदत होती है इसलिए उन्हें छोटी-छोटी बातों के माध्यम से बचत का महत्व समझाएं। इसके लिए उन्हें प्रेरित करना है तो आप उन्हें छोटा या गुल्लक यानि पिग्गी बैंक लाकर दे सकते हैं। बच्चे जब भी किसी बड़ी चीज की जिद करें तो आप उनसे कहें कि आप इतना पैसा एक साथ नहीं दे सकते। इसकी बजाय आप रोज उन्हें कुछ निश्चित मूल्य का पैसा देंगे जिन्हें इकट्ठा करके बच्चे खुद अपनी जरूरत का सामान ले सकते हैं। ऐसा करने से बच्चों को बचत का महत्व समझ आ जाएगा और वो जरूरत वाली चीजें ही खरीदेंगे।
वीकली और मंथली बजट बनाने को कहें
बच्चों को ज्यादा पैसा देने से उनकी फिजूलखर्ची की आदत को बल मिलता है। इससे बचने के लिए बच्चों को एक निश्चित राशि रोज हफ्ते में या महीने में दें और उनसे कहें कि इसी राशि के अनुसार वो अपना वीकली और मंथली बजट बनाएं। इसके बीच में अगर उन्हें कोई बहुत जरूरी सामान चाहिए तभी आप उन्हें पैसे दें वर्ना उन्हें खुद के बचत के पैसे से ही खुद की जरूरूत का सामान लेने को कहें।
बच्चों को पैसे की वैल्यू समझाएं
बच्चों में फिजूलखर्ची की आदत इसलिए हो जाती है क्योंकि हम बच्चों को मेहनत और पैसे की वैल्यू नहीं समझाते हैं। ज्यादातर लोग समझते हैं कि बच्चे उनकी इन बातों को नहीं समझेंगे इसलिए उनसे इस बारे में कहना बेकार है जबकि ऐसा नहीं है। बच्चों को अगर आप समझाएंगे कि आप कितनी मेहनत करने के बाद पैसा कमाते हैं जिनसे घर के सारे जरूरी सामान लाने होते हैं तो उन्हें ये बात जरूर समझ आएगी और वो फिजूलखर्ची से पहले थोड़ा सोचेंगे।


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