
समलैंगिकता जुर्म है या नहीं? इस पर सुप्रीम कोर्ट फिर से विचार करेगा। 2013 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकता (gay sex) को जुर्म करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट 2013 में अपने ही फैसले पर फिर विचार करने जा रहा है। मामला समलैंगिकता को जुर्म के दायरे में रखने या नहीं रखने का है। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में समलैंगिकता को जुर्म माना था। उसने इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बदलते हुए बालिग समलैंगिकों के संबंध को गैरकानूनी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट की 3 जजों की बेंच ने सोमवार को कहा कि संवैधानिक पीठ आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिकता को जुर्म मानने के इस फैसले पर फिर से विचार करेगा। इस बेंच की अध्यक्षता खुद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने की। कोर्ट ने कहा कि संवैधानिक मामला होने के नाते इस फैसला पर फिर से विचार किए जाने की जरूरत है।
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