विश्व पत्रकारिता दिवस एवं नारद जयंती पर आयोजित हुआ कार्यक्रम (फोटो-1 व 2 ) मीरजापुंर। विश्व पत्रकारिता दिवस एवं नारद जयंती पर स्थानीय कटरा बाजीराव स्थ्ति एक लाज में राष्ट्रधर्म एवं पत्रकारिता विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता व अध्यक्षता कर रहे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पे्रम शुक्ल ने अपने संबोधन मेें कहा कि वर्ममान समय व परिवेश में पत्रकारिता पर संकट मंडरा रहा है। पत्रकारों पर हमलों की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो गयी है। कुछ बिके हुए समाचार एजेसियां सम्पूर्ण पत्रकारिता को कलंकित करने का काम कर रही हैं। पत्रकारिता का मिशन पं0 जुगुल किशोर शुक्ल द्वारा प्रथम समाचार पत्र उदत्त मारतण्ड के माध्यम से प्रारम्भ किया गया था जो नारद जयंती के दिन ही शुरू किया गया था। नारद जी लोक मंगल की भावना व कामना के साथ तीनों लोकों में भ्रमण कर उनका हाल समाचार लेकर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे। उस समय पत्रकारिता का उद्देश्य लोक मंगल ही था और वर्तमान में भी पत्रकारों का उद्देश्य लोक मंगल ही होना चाहिये। समयान्तराल में फिल्मों द्वारा नारद जी के चरित्र को हास्यास्पद व तोड-मरोड़कर दिखाया गया जिसके कारण उनकी छवि खराब हुई, यह एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत किया गया। उनके चरित्र को लड़ाने-बुझाने वाला किरदार बनाकर इतिहासकारों ने मिथक दृश्य प्रस्तुत किया। उन्होने कहा कि जिस प्रकार प्रिंट मीडिया के हाथ में कलम व कागज होता है, ईलेक्ट्रिानिक मीडिया के हाथों में कैमरा, उसी प्रकार नारद जी के हाथ में वीणा रहा करती थी। उन्होने वर्तमान समय में प्रेस से जुड़े लोगों से कहा कि पत्रकारिता को लोक कल्याणकारी बनाये। और इस शुरूआत के लिए नारद जयंती का अवसर शुभ है। उन्होने आगे कहा कि आज की पत्रकारिता पीत पत्रकारिता का अनुसरण कर रही है। भारत देश में पत्रकारिता स्वतंत्र नही रह गयी हैं बल्कि कुछ उपनिवेशो के हाथ की कठपुतली बनती नजर आ रही है। हमें इस प्रकार के शकुनि वाली पत्रकारिता का त्याग करके लोक कल्याणकारी पत्रकारिता को पुष्ट करना होगा। अतिथि के रूप में मंचासीन आर0एन0सिंह ने कहा कि महर्षि नारद जी एक विशुद्व पत्रकार थे। उनकी भूमिका समाज व देवलोक में प्रमुख थी। निर्भीक पत्रकारिता देश के तीन स्तंभों व्यवस्थापिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, को संतुलित रखते हुए उन पर अंकुश लगाने का काम करती है। हमारे देश में निर्भीक पत्रकारिता की आवश्यकता है। उन्होने मारीशश में अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि वहां एक समाचार पत्र में छपी खबर के आधार पर मारीशस के राष्ट्रपति तक को आरोप के कारण स्तीफा देना पड़ा। अतः पत्रकारिता एक सशक्त माध्यम हैं जो देश को मजबूत करता है। अतिथि के क्रम में मंचासीन अतिथि के रूप में डा0 अमित अग्रवाल ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि आज के कार्यक्रम की आधार शिला प्रमुख रूप से तीन बातों पर निर्भर करती हैं जिसमें पहला महर्षि नारद, दूसरा विषय राष्ट्रधर्म, तीसरा विषय पत्रकारिता हैं। ये तीनों ही एक दूसरे के पूरक है। एक के बिना दूसरे या तीसरे की कल्पना बेमानी है। तमाम भ्रष्ट इतिहासकारों ने नारद मुनि को विदूषक के समान समाज के समक्ष प्रस्तुत किया जिसके कारण पत्रकारिता अपने वजूद को तलाशने लगी। जबकि ब्रम्हा के मानस पुत्र नारद जी एक दूरदर्शी व महान पत्रकार थे। पत्रकारिता धारण करने से अपने मूल को प्राप्त करती हैं और जो धारण करने योग्य हैं वही धर्म है। सबसे पहले राष्ट्र धर्म, फिर मानव धर्म है। उन्होने कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकारों से कहा कि वे निर्भीक पत्रकारिता करें। क्योंकि पत्रकार समाज का दर्पण होता हैं और इस दर्पण में देश की छवि समाज की छवि खराब नही दिखनी चाहिये। कार्यक्रम का प्रारम्भ नारद मुनि व मां भारती के चित्र पर माल्यार्पण कर व दीप प्रज्जवलन करके किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित रहने वालों में नगर विधायक रत्नाकर मिश्र, चन्द्रांशु गोयल नपा अध्यक्ष मनोज जायसवाल, कार्यक्रम संरक्षक आनन्द गुप्ता, केशव तिवारी, पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे अश्विनी शर्मा, केशव तिवारी, गोपाल जी, चन्द्रमोहन, प्रकाश चन्द्र सर्राफ, अंगराज सिंह, राजकुमार, नितिन गुप्ता, श्यामसुदर केशरी, सोनू गुप्ता, अखिलेश अग्रहरी, सहित नगर के पत्रकारगण मौजूद रहे। संचालन पत्रकारिता छात्र भगवान सहाय ने किया | Alienture हिन्दी

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Tuesday, 1 May 2018

विश्व पत्रकारिता दिवस एवं नारद जयंती पर आयोजित हुआ कार्यक्रम (फोटो-1 व 2 ) मीरजापुंर। विश्व पत्रकारिता दिवस एवं नारद जयंती पर स्थानीय कटरा बाजीराव स्थ्ति एक लाज में राष्ट्रधर्म एवं पत्रकारिता विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता व अध्यक्षता कर रहे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पे्रम शुक्ल ने अपने संबोधन मेें कहा कि वर्ममान समय व परिवेश में पत्रकारिता पर संकट मंडरा रहा है। पत्रकारों पर हमलों की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो गयी है। कुछ बिके हुए समाचार एजेसियां सम्पूर्ण पत्रकारिता को कलंकित करने का काम कर रही हैं। पत्रकारिता का मिशन पं0 जुगुल किशोर शुक्ल द्वारा प्रथम समाचार पत्र उदत्त मारतण्ड के माध्यम से प्रारम्भ किया गया था जो नारद जयंती के दिन ही शुरू किया गया था। नारद जी लोक मंगल की भावना व कामना के साथ तीनों लोकों में भ्रमण कर उनका हाल समाचार लेकर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे। उस समय पत्रकारिता का उद्देश्य लोक मंगल ही था और वर्तमान में भी पत्रकारों का उद्देश्य लोक मंगल ही होना चाहिये। समयान्तराल में फिल्मों द्वारा नारद जी के चरित्र को हास्यास्पद व तोड-मरोड़कर दिखाया गया जिसके कारण उनकी छवि खराब हुई, यह एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत किया गया। उनके चरित्र को लड़ाने-बुझाने वाला किरदार बनाकर इतिहासकारों ने मिथक दृश्य प्रस्तुत किया। उन्होने कहा कि जिस प्रकार प्रिंट मीडिया के हाथ में कलम व कागज होता है, ईलेक्ट्रिानिक मीडिया के हाथों में कैमरा, उसी प्रकार नारद जी के हाथ में वीणा रहा करती थी। उन्होने वर्तमान समय में प्रेस से जुड़े लोगों से कहा कि पत्रकारिता को लोक कल्याणकारी बनाये। और इस शुरूआत के लिए नारद जयंती का अवसर शुभ है। उन्होने आगे कहा कि आज की पत्रकारिता पीत पत्रकारिता का अनुसरण कर रही है। भारत देश में पत्रकारिता स्वतंत्र नही रह गयी हैं बल्कि कुछ उपनिवेशो के हाथ की कठपुतली बनती नजर आ रही है। हमें इस प्रकार के शकुनि वाली पत्रकारिता का त्याग करके लोक कल्याणकारी पत्रकारिता को पुष्ट करना होगा। अतिथि के रूप में मंचासीन आर0एन0सिंह ने कहा कि महर्षि नारद जी एक विशुद्व पत्रकार थे। उनकी भूमिका समाज व देवलोक में प्रमुख थी। निर्भीक पत्रकारिता देश के तीन स्तंभों व्यवस्थापिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, को संतुलित रखते हुए उन पर अंकुश लगाने का काम करती है। हमारे देश में निर्भीक पत्रकारिता की आवश्यकता है। उन्होने मारीशश में अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि वहां एक समाचार पत्र में छपी खबर के आधार पर मारीशस के राष्ट्रपति तक को आरोप के कारण स्तीफा देना पड़ा। अतः पत्रकारिता एक सशक्त माध्यम हैं जो देश को मजबूत करता है। अतिथि के क्रम में मंचासीन अतिथि के रूप में डा0 अमित अग्रवाल ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि आज के कार्यक्रम की आधार शिला प्रमुख रूप से तीन बातों पर निर्भर करती हैं जिसमें पहला महर्षि नारद, दूसरा विषय राष्ट्रधर्म, तीसरा विषय पत्रकारिता हैं। ये तीनों ही एक दूसरे के पूरक है। एक के बिना दूसरे या तीसरे की कल्पना बेमानी है। तमाम भ्रष्ट इतिहासकारों ने नारद मुनि को विदूषक के समान समाज के समक्ष प्रस्तुत किया जिसके कारण पत्रकारिता अपने वजूद को तलाशने लगी। जबकि ब्रम्हा के मानस पुत्र नारद जी एक दूरदर्शी व महान पत्रकार थे। पत्रकारिता धारण करने से अपने मूल को प्राप्त करती हैं और जो धारण करने योग्य हैं वही धर्म है। सबसे पहले राष्ट्र धर्म, फिर मानव धर्म है। उन्होने कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकारों से कहा कि वे निर्भीक पत्रकारिता करें। क्योंकि पत्रकार समाज का दर्पण होता हैं और इस दर्पण में देश की छवि समाज की छवि खराब नही दिखनी चाहिये। कार्यक्रम का प्रारम्भ नारद मुनि व मां भारती के चित्र पर माल्यार्पण कर व दीप प्रज्जवलन करके किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित रहने वालों में नगर विधायक रत्नाकर मिश्र, चन्द्रांशु गोयल नपा अध्यक्ष मनोज जायसवाल, कार्यक्रम संरक्षक आनन्द गुप्ता, केशव तिवारी, पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे अश्विनी शर्मा, केशव तिवारी, गोपाल जी, चन्द्रमोहन, प्रकाश चन्द्र सर्राफ, अंगराज सिंह, राजकुमार, नितिन गुप्ता, श्यामसुदर केशरी, सोनू गुप्ता, अखिलेश अग्रहरी, सहित नगर के पत्रकारगण मौजूद रहे। संचालन पत्रकारिता छात्र भगवान सहाय ने किया

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मीरजापुंर। विश्व पत्रकारिता दिवस एवं नारद जयंती पर स्थानीय कटरा बाजीराव स्थ्ति एक लाज में राष्ट्रधर्म एवं पत्रकारिता विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता व अध्यक्षता कर रहे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पे्रम शुक्ल ने अपने संबोधन मेें कहा कि वर्ममान समय व परिवेश में पत्रकारिता पर संकट मंडरा रहा है। पत्रकारों पर हमलों की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हो गयी है। कुछ बिके हुए समाचार एजेसियां सम्पूर्ण पत्रकारिता को कलंकित करने का काम कर रही हैं। पत्रकारिता का मिशन पं0 जुगुल किशोर शुक्ल द्वारा प्रथम समाचार पत्र उदत्त मारतण्ड के माध्यम से प्रारम्भ किया गया था जो नारद जयंती के दिन ही शुरू किया गया था। नारद जी लोक मंगल की भावना व कामना के साथ तीनों लोकों में भ्रमण कर उनका हाल समाचार लेकर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते थे।

उस समय पत्रकारिता का उद्देश्य लोक मंगल ही था और वर्तमान में भी पत्रकारों का उद्देश्य लोक मंगल ही होना चाहिये। समयान्तराल में फिल्मों द्वारा नारद जी के चरित्र को हास्यास्पद व तोड-मरोड़कर दिखाया गया जिसके कारण उनकी छवि खराब हुई, यह एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत किया गया। उनके चरित्र को लड़ाने-बुझाने वाला किरदार बनाकर इतिहासकारों ने मिथक दृश्य प्रस्तुत किया। उन्होने कहा कि जिस प्रकार प्रिंट मीडिया के हाथ में कलम व कागज होता है, ईलेक्ट्रिानिक मीडिया के हाथों में कैमरा, उसी प्रकार नारद जी के हाथ में वीणा रहा करती थी। उन्होने वर्तमान समय में प्रेस से जुड़े लोगों से कहा कि पत्रकारिता को लोक कल्याणकारी बनाये।

और इस शुरूआत के लिए नारद जयंती का अवसर शुभ है। उन्होने आगे कहा कि आज की पत्रकारिता पीत पत्रकारिता का अनुसरण कर रही है। भारत देश में पत्रकारिता स्वतंत्र नही रह गयी हैं बल्कि कुछ उपनिवेशो के हाथ की कठपुतली बनती नजर आ रही है। हमें इस प्रकार के शकुनि वाली पत्रकारिता का त्याग करके लोक कल्याणकारी पत्रकारिता को पुष्ट करना होगा। अतिथि के रूप में मंचासीन आर0एन0सिंह ने कहा कि महर्षि नारद जी एक विशुद्व पत्रकार थे। उनकी भूमिका समाज व देवलोक में प्रमुख थी। निर्भीक पत्रकारिता देश के तीन स्तंभों व्यवस्थापिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, को संतुलित रखते हुए उन पर अंकुश लगाने का काम करती है। हमारे देश में निर्भीक पत्रकारिता की आवश्यकता है। उन्होने मारीशश में अपने अनुभव को साझा करते हुए बताया कि वहां एक समाचार पत्र में छपी खबर के आधार पर मारीशस के राष्ट्रपति तक को आरोप के कारण स्तीफा देना पड़ा।

अतः पत्रकारिता एक सशक्त माध्यम हैं जो देश को मजबूत करता है। अतिथि के क्रम में मंचासीन अतिथि के रूप में डा0 अमित अग्रवाल ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि आज के कार्यक्रम की आधार शिला प्रमुख रूप से तीन बातों पर निर्भर करती हैं जिसमें पहला महर्षि नारद, दूसरा विषय राष्ट्रधर्म, तीसरा विषय पत्रकारिता हैं। ये तीनों ही एक दूसरे के पूरक है। एक के बिना दूसरे या तीसरे की कल्पना बेमानी है। तमाम भ्रष्ट इतिहासकारों ने नारद मुनि को विदूषक के समान समाज के समक्ष प्रस्तुत किया जिसके कारण पत्रकारिता अपने वजूद को तलाशने लगी। जबकि ब्रम्हा के मानस पुत्र नारद जी एक दूरदर्शी व महान पत्रकार थे। पत्रकारिता धारण करने से अपने मूल को प्राप्त करती हैं और जो धारण करने योग्य हैं वही धर्म है। सबसे पहले राष्ट्र धर्म, फिर मानव धर्म है।

उन्होने कार्यक्रम में उपस्थित पत्रकारों से कहा कि वे निर्भीक पत्रकारिता करें। क्योंकि पत्रकार समाज का दर्पण होता हैं और इस दर्पण में देश की छवि समाज की छवि खराब नही दिखनी चाहिये। कार्यक्रम का प्रारम्भ नारद मुनि व मां भारती के चित्र पर माल्यार्पण कर व दीप प्रज्जवलन करके किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित रहने वालों में नगर विधायक रत्नाकर मिश्र, चन्द्रांशु गोयल नपा अध्यक्ष मनोज जायसवाल, कार्यक्रम संरक्षक आनन्द गुप्ता, केशव तिवारी, पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे अश्विनी शर्मा, केशव तिवारी, गोपाल जी, चन्द्रमोहन, प्रकाश चन्द्र सर्राफ, अंगराज सिंह, राजकुमार, नितिन गुप्ता, श्यामसुदर केशरी, सोनू गुप्ता, अखिलेश अग्रहरी, सहित नगर के पत्रकारगण मौजूद रहे। संचालन पत्रकारिता छात्र भगवान सहाय ने किया।

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