सीतापुर। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में यूपी सरकार को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि सीतापुर जिले में पिछले 7 महीने में 13 बच्चों की मौत की घटनाओं के बाद राज्य में आवारा कुत्तों को उस समय तक नहीं मारा जाए जब कि यह साबित नहीं हो जाए कि इन हमलों में कुत्ते शामिल थे। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में बड़ी संख्या में आवारा कुत्तों को मारे जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 1 जून को सुनवाई करेगा सोमवार को जस्टिस एल नागेश्वर राव और एमएम शांतानगौदर की पीठ के समक्ष याचिका का उल्लेख किया गया पीठ ने कहा कि याचिका पर एक जून को सुनवाई की जाएगी।
इस याचिका में कहा गया है कि जांच से संकेत मिले हैं कि बच्चों पर आवारा कुत्तों ने नहीं बल्कि वन्य जीवों ने हमले किए हैं आरोप है कि सीतापुर जिले में आवारा कुत्तों को अंधाधुंध और अमानवीय तरीके से कथित अनुमान के आधार पर ही मारा जा रहा है यहां तक की उनका पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया है।
सीतापुर जिले में आदमखोर कुत्तों को आतंक से खौफ कायम हो गया था यहां पर छोटे मासूम बच्चे लगातार कुत्तों का शिकार बन रहे थे कई बच्चों की जान जाने के बाद पुलिस मुस्तैद हुई थी इसके बाद ड्रोन और नाइट विजन कैमरों की निगरानी में आवारा कुत्तों को पकड़ने और मारने का काम शुरू हुआ था।
पहली घटना सीतापुर कोतवाली के गुजर ग्राम सभा के पीरपुर और बुढाना गांव में हुई यहां आदमखोर कुत्तों ने दो बच्चों पर हमला बोल कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया घायल बच्चों को इलाज के जिला अस्पताल में लाया गया जहां उपचार के दौरान एक 10 वर्षीय मासूम बच्चे की मौत हो गई।
दूसरी घटना खैराबाद थाना क्षेत्र के महसिंघपुर और चौबेपुर गांव की है यहां 6 वर्षीय गीता पर आवारा कुत्तों ने हमला बोल कर मौत के घाट उतार दिया वहीं चौबेपुर गांव के बाहर साइकिल से स्कूल जा रही एक किशोरी को हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया इन घटनाओं से इलाके में दहशत बानी हुई थी।
सिटी मजिस्ट्रेट हर्षदेव पाण्डेय ने बताया था कि आदमखोर कुत्तों से निजात पाने के लिए मथुरा से डॉग कैचर बुलाए गए उनके द्वारा 20 से ज्यादा कुत्तों को कैद किया गया था कुछ आदमखोर कुत्तों को गोला गोकर्ण नाथ के जंगलों में छोड़ा गया था कुत्तों के हमले से करीब 12 बच्चों की मौत हो चुकी है।
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