खागा। पेयजल के लिए तथा सिचाई के लिए लगाये गये हैण्डपाईप भारी सख्या मे मात्र शोपीस बनकर रह गये है और जहॉ ग्रामीण क्षेत्रो मे पेयजल की समस्या आती जा रही है। वहीं कैप्टी बोरो सहित मध्यम श्रेणी वाले बोर भी जवाब देते जा रहे हैं जिससे किसानो के सामने फसलो के सिचाई की समस्या आती जा रही है। जब कि सरकारो के प्रयास मात्र फाईलो मे दौडाये जा रहे है जो वास्तविता से कोसो दूर है।
भूगर्भ जल स्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा है। जहॉ पेय जल के लिए 40 से 50 फिट का गड्ढा खोदकर कुये का रुप देकर सामूहिक रुप से पेयजल की सुविधा स्वयं किया जाता रहा है। वहीं जल स्तर नीचे जाने से सरकारो ने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रो मे हैण्डपाईप आदि की व्यवस्था किया और जल स्तर के नीचे गिरने से रोकने के लिये तालाबो की खुदाई आदि कराया जिससे जल संचित होकर भूगर्भ मे समाहित होकर गिरते जल स्तर को रोका जा सके लेकिन शासन की योजनाये मात्र जेबे गर्म करने का साधन समझकर कही-कही क्रियान्वय तो लेकिन लाखो करोडो की धनराशि से खोदे गये तालाब एवं जल संचय केन्द्र स्वयं ही प्यास से व्याकुल देखने को मिल रहे है और जल का एक भी बूद तालाबो मे नहीं है।
परिणाम स्वरुप शासन का लाखो करोडो की धनराशि पानी के लिए पानी की तरह ही बह गया और जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है। तहसील क्षेत्र के यमुना तटवर्ती क्षेत्र के लगभग दो दर्जन गॉवो सहित द्वोआबा के लगभग पॉच दर्जन ग्रामीण क्षेत्रो मे गर्मी के चलते पेयजल की समस्या आती जा रही है। पेयजल के लिए लगाये गये हैण्डपाईप सौकडो की तादात मे रीबोर कराये जाने के प्रार्थना पत्र सरकारी कार्यलयो की रद्दी टोकरी की शोभा बढा रहे है। वही किसानो के मध्यम एवं कैप्टी बोरो ने पानी देना बन्द कर दिया और किसान सिचाई के लिए भटक रहा है।
जब कि सरकारी नलकूपो की हालात आश्चर्य जनक है कि मामूली खराबी से वर्षो से बन्द पडे है और गॉवो के दबंगो एवं अराजक तत्वो के कमाई का साधन मात्र बनकर रह गये है। शासन द्वारा मुफ्त सिंचाई की घोषणा मात्र ही है। गॉव के दबंग अबैध कब्जा करके गरीब किसानो से सिंचाई की वसूली कर रहे है और नलकूप आपरेटर घर बैठे ही वेतन की मोटी रकम डकार रहे है।
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