नई दिल्ली। देश की दूसरी सबसे बड़ी फुटवेयर कंपनी रिलैक्सो पिछले पांच सालों से 15 फीसदी की विकास दर से बढ़ रही है और कंपनी ने पिछले पांच सालों के दौरान हर साल करीब 100 करोड़ रुपये का निवेश किया है। फुटवेयर सेक्टर श्रम आधारित उद्योग है और इसके विकास से लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ते हैं। रिलैक्सो में अभी 15 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है।
नई दिल्ली के प्रगति मैदान में दो से चार अगस्त तक चले इंडिया इंटरनेशनल फुटवेयर मेले में रिलैक्सो ने अपने फैशनेबल और आरामदायक फुटवेयर की व्यापक रेंज को पेश किया। फुटवेयर उत्पादन के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलैक्सो 400 से अधिक डिजाइन के फुटवेयर का उत्पादन करती है, जिसमें स्लीपर, फ्लिप फ्लॉप, सैंडल्स, स्पोर्ट्स शूज, स्कूल शूज शामिल हैं।
इस अवसर पर रिलैक्सो के प्रबंध निदेशक रमेश कुमार दुआ ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, “फुटवेयर उद्योग 70 फीसदी असंगठित है, केवल 30 फीसदी कंपनियां ही संगठित हैं। पहले विभिन्न कर ढांचे की वजह से कई तरह की समस्याएं थीं, लेकिन अब जीएसटी आने से थोड़ी सहूलियत हुई है। सरकार ने 1000 रुपये तक के फुटवेयर पर पांच फीसदी कर निर्धारित किया है, यह स्वागतयोग्य कदम है।“
गरीबों व मध्य वर्ग को फोकस करते हुए किफायती फुटवेयर के निर्माण पर जोर देने वाले दुआ ने कहा, “फिलहाल 1000 रुपये से ऊपर के फुटवेयर पर 18 फीसदी जीएसटी है। हमारा मानना है कि इसे कम किए जाने की जरूरत है। अगर इसे कम किया गया तो अधिक से अधिक कंपनियां असंगठित क्षेत्र से निकलकर संगठित क्षेत्र में आएंगी और सरकार को भी ज्यादा कर हासिल होगा।“
कॉमर्स ग्रेजुएट और प्लास्टिक एंड रबड़ इंस्टीट्यूट लंदन से रबर टेक्नॉलॉजिस्ट एवं फुटवेयर उद्योग में 43 वर्षो का अनुभव रखने वाले दुआ ने कहा, “फुटवेयर उद्योग श्रम आधारित उद्योग है। यह उद्योग जितनी तेजी से विकास करेगा, हम उतना ही रोजगार के अवसर सृजित करने में कामयाब होंगे।“
देशी और विदेशी कंपनियों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद रिलैक्सो ब्रांड को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले दुआ ने कहा, “फुटवेयर उद्योग में अपार संभावना है। रिलैक्सो अपनी क्षमता के अनुसार पिछले पांच साल से प्रति वर्ष करीब 100 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है और इसके अबतक नौ संयंत्र हैं, जिसमें 15 हजार लोगों को रोजगार मिला हुआ है। रिलैक्सो इस वक्त सालाना 15 करोड़ जोड़ी फुटवेयर निर्माण कर रही है। जबकि देश में तकरीबन 200 करोड़ जोड़ी फुटवेयर बिकते हैं।“
दुआ ने कहा, “हम कुल निर्माण का 10 फीसदी फुटवेयर निर्यात करते हैं। विदेशों से हमें काफी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है और हम इस ओर ध्यान दे रहे हैं। लेकिन इसके लिए निर्यातक को कुछ छूट मिलनी चाहिए, क्योंकि अंततः वह देश में रोजगार निर्माण में मदद कर रहे हैं। चीन का उदाहरण हम सबके सामने है। वहां निर्यातक को छूट मिलने की वजह से ही दुनिया के 70 प्रतिशत फुटवेयर का उत्पादन हो रहा है। हमें रोजगार बढ़ाने के लिए वहां से सीख लेनी चाहिए।“
दुआ के नेतृत्व में कंपनी का बाजार पूंजीकरण जो 1995 में 18 करोड़ रुपये था, वर्तमान में 8,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उनके नेतृत्व में कंपनी ने वित्त वर्ष 2018-19 में आधुनिक कारोबार (चैनलों) में विस्तार किया है, नए क्षेत्रों या कंपनी की कम मौजूदगी वाले इलाकों में अपनी पैठ बढ़ाई है तथा उत्पाद को प्रीमियम बनाया है।
पुरुषों, महिलाओं और बच्चों के लिए फैशनेबल और आरामदायक फुटवेयर पेश करने वाली रिलैक्सो की स्थापना 1984 में हुई थी। कंपनी के पोर्टफोलियों में नौ ब्रांड्स हैं, जिसमें रिलेक्सो, फ्लाइट, स्पार्क्स और बहामास शमिल हैं। देश में कंपनी की नौ विनिर्माण इकाइयां हैं, जिनकी संयुक्त उत्पादन क्षमता रोजाना सात लाख जोड़ी फुटवेयर हैं। कंपनी का मुख्य जोर गैर-चमड़ा फुटवेयर खंड पर है।
कंपनी के कुछ प्रमुख ब्रांडों में स्पार्क्स फुटवेयर की रेंज 250 रुपये से, फ्लाइट की रेंज 129 रुपये से शुरू होती है। वहीं रिलेक्सो ब्रांड के तहत रबर की चप्पलें बनाई जाती हैं, जो समाज के सभी वर्ग के लोगों को ध्यान में रखकर तैयार की जाती हैं।
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