माता लक्ष्मी किसके यहां निवास नहीं करती | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Saturday 4 August 2018

माता लक्ष्मी किसके यहां निवास नहीं करती

Mata Lakshmi Kaha Niwas Nahi Karti | देवताओं के स्तवन पर महालक्ष्मी का प्रकट होना–
इन्द्र ,गुरु वृहस्पति तथा अन्य देवों के साथ लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए क्षीरसागर के तट पर गये। वहाँ उन्होंने अमूल्य रत्न की गुटिका से युक्त कवच को गले में बाँध कर दिव्य स्तोत्र का मन-ही-मन स्मरण किया । फिर सब लोगों ने भक्तिभाव से कमलवासिनी लक्ष्मी का स्तवन किया। उनके द्वारा की गई स्तुति को सुनकर महालक्ष्मी तुरंत वहाँ प्रकट हो गयीं। उन जगन्माता की उत्तम प्रभा से सारा जगत व्याप्त हो गया।

Mata Lakshmi Kaha Niwas Karti Hai

श्री महालक्ष्मी बोलीं — बच्चो! तुम लोग ब्रह्म शाप के कारण भ्रष्ट हो गये हो, अतः मेरा तुम्हारे घर जाने का विचार नहीं है । इस समय मैं ऐसा करने में समर्थ नहीं हूँ; क्योंकि मैं ब्रह्म शाप से डर रही हूँ । ब्राह्मण मेरे प्राण हैं। वे सभी सदा मुझे पुत्र से भी बढ़कर प्रिय हैं। वे ब्राह्मण जो कुछ देते हैं, वही मेरी जीविका का साधन होता है । यदि वे विप्र प्रसन्नतापूर्वक मुझसे कहें तो मैं उनकी आज्ञा से चल सकूंगी। वे तपस्वी मेरी पूजा करने में समर्थ नहीं हैं। जब अभाग्य का समय आता है, तभी वे गुरु, ब्राह्मण, देव, सन्यासी तथा वैष्णवों द्वारा शापित होते हैं। जो सबके कारण, ऐश्वर्यशाली , सर्वेश्वर और सनातन हैं, वे भगवान नारायण भी ब्रह्म शाप से भय मानते हैं।

इसी बीच अंगिरा, प्रचेता, क्रतु, भृगु, पुलह, पुलस्त्य, मरीचि, अत्रि, सनक, सनन्दन, तीसरे सनातन, सनत्कुमार, कपिल, आसुरि, वोढु, पञ्चशिख, दुर्वासा, कश्यप, अगस्त्य, गौतम, कण्व, और्व, कात्यायन, कणाद, पाणिनी, मार्कण्डेय, लोमश और स्वयं भगवान वशिष्ठ- -से माता बोली

श्री महालक्ष्मी ने कहा– विप्रवरो! मैं आप लोगों की आज्ञा से देवताओं के घर जाऊँगी; किन्तु भारतवर्ष में जिन जिनके घर नहीं जाऊँगी, उनका विवरण सुनिये।

पुण्यात्मा गृहस्थों और उत्तम नीति के जानकार नरेशों के घर में तो मैं स्थिररूप से निवास करूंगी और पुत्र की भाँति उनकी रक्षा करूंगी।

जिस जिस के प्रति गुरु, देवता, माता, पिता, भाई-वन्धु, अतिथि और पितर लोग रुष्ट हो जायेंगे, उसके घर मैं नहीं जाऊँगी। जो पराक्रमहीन और दुष्ट स्वभाव वाला है तथा ‘मेरे पास कुछ नहीं है’ यों सदा कहता रहता है, उसके घर मैं नहीं जाऊँगी।

जो सत्यहीन, धरोहर हड़प लेने वाला, झूठी गवाही देने वाला, विश्वासघाती और कृतघ्न है, उसके गृह मैं नहीं जाऊँगी। जो चिन्ताग्रस्त, भयभीत, शत्रु के चंगुल में फँसा हुआ, महापापी, कर्जदार और अत्यन्त कृपण है- –ऐसे पापियों के घर मैं नहीं जाऊँगी।

जो मन्दबुद्धि, सदा स्त्री के वश में रहने वाला है तथा जो कुलटा स्त्री का पति अथवा पुत्र है, उसके घर कभी नहीं जाऊँगी। जो दुष्ट वचन बोलने वाला और झगड़ालू है, जिसके घर में निरन्तर कलह होता रहता है तथा जिसके घर में स्त्री का स्वामित्व है- – ऐसे लोगों के घर नहीं जाऊँगी।

जहाँ श्री हरि की पूजा और उनके गुणों का कीर्तन नहीं होता, उसके घर नहीं जाऊँगी। जो कन्या, अन्न और वेद को बेचने वाला, मनुष्यघाती और हिंसक है, उसका घर नरककुण्ड के समान है; अतः मैं उसके घर नहीं जाऊँगी।

जो कृपणतावश माता-पिता, भार्या, गुरु पत्नी, गुरु, पुत्र, अनाथ वहिन और आश्रयहीन बान्धवों का पालन-पोषण नहीं करता; सदा धन संग्रह में ही लगा रहता है; उसके नरककुण्ड सदृश घर में मैं नहीं जाऊँगी। जिसके दाँत और वस्त्र मलिन, मस्तक रूखा और ग्रास तथा हास विकृत रहते हैं, जो मन्दबुद्धि मल-मूत्र का त्याग करके उस पर दृष्टि डालते हैं और गीले पैरों सोते हैं , उसके घर नहीं जाऊँगी।

जो विना पैर धोये सोता है तथा संध्या और दिन में शयन करता है उसके घर मैं नहीं जाऊँगी। जो मस्तक पर तेल लगाकर पीछे उस तेल से अन्य अंगों का स्पर्श करता है अथवा सारे शरीर में लगाता है उसके घर मैं नहीं जाऊँगी।

जो मस्तक पर तैल लगाकर मल-मूत्र का त्याग करता है, नमस्कार करता है और पुष्प तोड़कर ले आता है, उसके घर मैं नहीं जाऊँगी। जो नखों से तृण तोड़ता और भूमि कुरेदता है तथा जिसके शरीर और पैर में मैल जमी रहती है, उसके घर मैं नहीं जाऊँगी।

जो अपने द्वारा अथवा पराये द्वारा दी गई ब्राह्मण और देवता की वृत्ति का अपहरण करता है, उसके घर मैं नहीं जाऊँगी। जो मूर्ख कर्म करके दक्षिणा नहीं देता, वह शठ, पापी और पुण्यहीन है , उसके घर मैं नहीं जाऊँगी।

जो मन्त्रविद्या से जीविका चलाने वाला, पुरोहित, वैद्य, रसोइया और देवल ( वेतन लेकर मूर्ति पूजा करने वाला) है; उसके घर मैं नहीं जाऊँगी। जो दिन में स्त्री-प्रसंग करता है, उसके घर मैं नहीं जाऊँगी।

इतना कहकर महालक्ष्मी अन्तर्धान हो गयीं। फिर उन्होंने देवताओं के गृह और मृत्युलोक की ओर देखा। तब सभी देवता और मुनिगण आनन्दपूर्वक महालक्ष्मी को प्रणाम करके शीघ्र ही अपने-अपने स्थान को चले गये।

इस प्रकार देवताओं ने अपना राज्य और स्थिरा लक्ष्मी को प्राप्त किया।
—हरिः शरणम्—

आचार्य, डा.अजय दीक्षित

डा. अजय दीक्षित जी द्वारा लिखे सभी लेख आप नीचे TAG में Dr. Ajay Dixit पर क्लिक करके पढ़ सकते है।

अन्य सम्बंधित लेख – 

The post माता लक्ष्मी किसके यहां निवास नहीं करती appeared first on Ajab Gjab | Hindi.

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad