गोसाईंगंज/लखनऊ। हबुआ पुर नई बस्ती के लोग को बीसो वर्ष बीत गए झोपडी में जिंदगी गुजारते हुए।उनको अभी तक मकान नही मिल पाया है।इन दिनों उन लोगो की पूरी रात जागते हुए बीत जाती है।वहाँ सभी परिवारो के लोग बैठे रहते है।मिट्टी की बनी दीवारे कब ढह जाये और घर के लोग छप्पर के नीचे दब जाये ।यही भय ने इस बस्ती के लोगो की आँखों की नींद भगा दी है।लेकिन सरकार और सरकारी नुमाइंदों को इस बिषय पर सोचने की फुर्सत नहीं है। कस्बों और गावो में रहने वालो के लिए आवास तो सरकार की ओर से दिए जा रहे है लेकिन वे शायद गिरीबो के लिए नही हैं। इसीलिए झोपड़ियों में रहने वाले इस बस्ती के लोगो की ओर देखने या इस विषय पर विचार करने जरूरत भी किसी ने नहीं समझी।यही सब बाते उन सरकारी सभी दावों को झुठला रही है जिनमे सभी को पक्का मकान देने का दावा किया गया है।
नई जेल के निकट इंदिरा नहर के की तलहटी में बसी नई बस्ती सिद्धपुरा भट्ट(हबुआपुर) में 30 परिवार रहते है।इनमें 20 निषाद,8 चौहान(लोनिया),एक मौर्या तथा एक अनुसूचित जाति का परिवार है।इस बस्ती के लोगो के लिए पीने के पानी की सुविधा के लिए मात्र तीन इण्डिया-2 नल सरकार की ओर से लगवाये गये है।आवागमन के लिए कोई रास्ता नही है। यहाँ के लोगो की सबसे बड़ी समस्या आवास की है। सभी कच्ची दीवारो और फूस के छप्पर के नीचे अपना जीवन गुजार रहे है। आवास पाने के लिए ये लोग निरन्तर संघर्ष कर रहे है। बस्ती के लोगो ने कई बार उपजिला अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर कर आवास देने की गुहार लगाई। साथ ही साथ खण्ड विकास अधिकारी को भी अपना प्रार्थना पत्र सौपा है और अब इस बात की आस लगाये बैठे कि कभी तो उनकी मांग पर अधिकारी लोग विचार करेगे ही।
इन दोनों अधिकारियों ने हबआ पुरवासियों की उमीदों पर पानी फेर दिया। अब हबुआ पुरवासी कहने लगे है कि लगता है इन अधिकारियो ने उनके द्वारा दिए गए दिए गए प्रार्थना पत्रो को कूड़े के ढेर में फेक दिया है। ये गरीब हितैषी नहीं है। ये पैसा कामना चाहते है जो गरीब हबुआपुरवासियों से नहीं मिल पाता है। इसीलिए उनका काम भी नहीं हुआ और वे अभी तक आवास विहीन है।
हबुआपुरवासियों के आवास के मामले में सिद्ध पूरा भट्ट की महिला प्रधान लक्ष्मी देवी पत्नी श्यामलाल का कहना है कि हबुआपुरवासियों की समस्या को वे अच्छी तरह समझती है। जब उनके पास धन आ जायेगा तब वे इस बस्ती के लोगो के आवासो को प्रमुखता देगी। उन्होंने बस्ती के लोगों के आवासो की सूची बना कर सम्बंधित अधिकारियों को भेज दिया है।
हमरे पास घरु नाही हवै साहब
हबुआपुर की रहने वाली महिला बसन्ती और फूल कुमारी बात करते -करते भावुक हो जाती है। वे दोनों कहती है “साहब हमरे पास घर नाही है अउर एकउ विसुवा जमिनौ नाई है। छपरा के तरे बीतति है। इक-इक घरु हमहूँ का मिलि जाय तौ साहब लोगन कै बड़ी किरपा हुई जात। हम ईका जिंदगी भरि अहसान मानिति।
कोई अच्छा रास्ता नहीं
इंदिरा नहर से बस्ती तक पहुँचने का कोई अच्छा रास्ता नहीं है। जो मार्ग है उस पर पैदल भी चलना कठिन है। यह रास्ता कई जगह कटा हुआ है। गड्ढों में पानी भरा हुआ है।जिसके कारण इस रास्ते पर पैदल चलना भी मुश्किल है।
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