रोटावायरस डायरिया के प्रबंधन पर हर साल 1,000 करोड़ रुपये खर्च
लखनऊ। बच्चों को रोटा वायरस से होने वाली जानलेवा दस्त से बचाव के लिए पिलाई जाने वाली वैक्सीन का शुभांरभ मंगलवार को एक होटल में किया गया। इस कार्यक्रम की शुरूआत प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री, परिवार कल्याण, पर्यटन, महिला एवं बाल कल्याण डा रीता बहुगुणा जोशी द्वारा द्वीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभांरभ किया गया। उन्होनें बताया कि ‘‘रोटावायरस दस्त के कारण गंभीर अवस्था में बच्चों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। कभी-कभी दस्त जानलेवा भी हो जाती है। राज्य के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में आज एक नई वैक्सीन शामिल की जा रही है, जो रोटावासरस के कारण होने वाली गंभीर दस्त से सुरक्षा प्रदान कराएगी।‘‘ रोटा वायरस और इससे बचाव में प्रयोग की जाने वाली वैक्सीन के बारे में राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी, डा एपी चतुर्वेदी ने बताया किए ‘‘प्रत्येक नवजात को जन्म के छठे, दसवें और चैदहवें सप्ताह में रोटा वायरस वैक्सीन की पांच बूंदे पेन्टा-1, 2 और 3 वैक्सीन के साथ पिलाई जानी है। अब उत्तर प्रदेश देश का ग्यारहवाॅं ऐसा राज्य हो जायेगा, जो इस वैक्सीन को बच्चों को रोटा वायरस से पूर्ण प्रतिरक्षित करेगा।
चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी ने कहा,‘‘ इस वैक्सीन से होने वाली मौतों में कमी आएगी। साथ ही, इसका कुपोषण दर और विकास संकेत कों पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। यह वैक्सीन सबसे पहले भारत में नियमित प्रतिरक्षण कार्यक्रम के तहत 2016 में ओडिशा में शुरू की गई थी जिसके बाद इसे हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा और झारखंड में दिया जाना शुरू किया गया।’’
परिवार कल्याण विभाग की महानिदेशक नीना गुप्ता ने कहा, ‘‘मई 2018 तक 2.1 करोड़ से अधिक रोटावायरस वैक्सीन बच्चों को दी जा चुकी है। रोटावायरस वैक्सीन के शुरूआती दौर में, केवल पहली ओपीवी की खुराक और पेंटावेलेंट के लिए आने वाले शिशुओं को रोटावायरस की ड्रॉप दी जाएगी। रोटावायरस वैक्सीन की मदद से हर साल डायरिया से 57 लाख नवजात शिशुओं का बचाव किया जाएगा।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के मिशन निदेशक पंकज कुमार ने कहा कि ’’वैश्विक स्तर पर 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौतों में 9 प्रतिशत और भारत में 10 प्रतिशत के लिए डायरिया जिम्मेदार है। उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि रोटावायरस लगभग 40 प्रतिशत मध्यम से गंभीर डायरिया का कारण है, जिसके परिणाम स्वरूप देश में 5 साल से कम उम्र के लगभग 78,000 बच्चों की मौतें हुई हैं। डायरिया के हर मामले में भारतीय परिवारों की औसत वार्षिक आय का 7 प्रतिशत खर्च होता है, जो कम आय वाले परिवारों को गरीबी रेखा से नीचे धकेलता है। अनुमान लगाया गया है कि भारत हर साल रोटावायरस डायरिया के प्रबंधन पर 1,000 करोड़ रुपये खर्च करता है।’’
यूनीसेफ के अमित मेहरोत्रा ने बताया कि वैश्विक स्तर पर रोटावायरस बीमारी से निजात पाने के लिए ऐसा माना जाता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सभी देशों के राष्ट्रीय प्रतिरक्षण कार्यक्रम में इस वैक्सीन को शामिल करने की सिफारिश की गई है। 95 देशों में रोटावायरस वैक्सीन की शुरुआत हो गई है। जिन देशों में रोटावायरस वैक्सीन प्रारम्भ हो गई है वहां रोटावायरस के कारण अस्पताल में भर्ती और मृत्यु की दर में कमी दर्ज की गई है।
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