नई दिल्ली। खराब लाइफस्टाइल के कारण हार्ट अटैक के ज्यादा मामले सामने आ रहे है। हैरानी की बात ये है कि 30 से 35 साल की उम्र के लोगों को सबसे अधिक इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक हार्ट अटैक की शिकार हो रही है। जो कि पहले के समय में न के बराबर था।
एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल 4,25,000 महिलाओं को हार्ट स्ट्रोक पड़ता है, जो पुरुषों की तुलना में 55 हजार अधिक है। यही नहीं, वैश्विक स्तर पर चार महिलाओं में से एक महिला की दिल थमने के कारण मौत हो जाती है। आखिर कारण क्या है। यह सोचने की बात है। कई महिलाएं तो इलाज के अभाव के कारण मौत के मुंह में चली जाती है। या फिर कई बार इसके प्रति सजग न होने के कारण इस बीमारी की गिरफ्त में आ जाती है।
कई अध्ययनों के अनुसार कैंसर, एचआईवी एड्स और मलेरिया से जितनी महिलाओं की मौत होती है, उससे अधिक महिलाओं की मौत हृदय वाहिका रोगों (सीवीडी) से होती है। दरअसल, हृदय रोग महिलाओं के लिए सबसे बड़ा हत्यारा है और यह हर मिनट एक महिला को मौत की गिरफ्त में ले जाता है। पूरी नींद नहीं लेने से भी महिलाओं में हार्ट अटैक के खतरे बढ़ रहे हैं। कई बार पूरी नींद नहीं लेने से आर्टरी ब्लॉक हो जाती हैं, जिससे दिल के रोगों का खतरा बढ़ जाता है। बढ़ता हुआ वजन आजकल महिलाओं की सबसे बड़ी समस्या है जो कि हार्ट अटैक का ही एक कारण है।
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी कि पुरुषों को हार्ट अटैक पड़ने पर उसके लक्षण दिखते है। यानी उनके सीने में तेज दर्द होने लगता है। वहीं महिलाओं के साथ ऐसा कुछ नहीं होता है। कई बार 1-2 हार्ट अटैक पड़ जाना भी उन्हें समझ नहीं आता है। महिलाओं में मुख्य लक्षण होते है कि जबड़े में दर्द, अधिक पसीना आना, सीने में जलन या फिर पीठ में दर्द आदि।
वहीं 40-50 साल की महिलाओं को इसका शिकार होने का खतरा सबसे अधिक होता है क्योंकि इसका कारण मोनोपॉज है। जिससे हार्मेंस में परिवर्तन आता है। जो कि हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।
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