मुंबई- हिंदी, भोजपुरी और मराठी फिल्म इंडस्ट्री में 150 से ज्यादा फिल्मों में सदाबहार संगीत दे चुके वरिष्ठ संगीतकार विजय पाटिल ऊर्फ राम लक्ष्मण को स्वरकोकिला लता मंगेशकर पुरस्कार के लिए चुना गया है। सांस्कृतिक कार्यमंत्री विनोद तावडे ने शुक्रवार को इस पुरस्कार की घोषणा की। राज्य सरकार की ओर से हर साल संगीत क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देनेवाले कलाकार को इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। बतौर पुरस्कार 5 लाख रुपए नकद, प्रमाणपत्र, सन्मान चिन्ह दिया जाता है।
सांस्कृतिक कार्य मंत्री विनोद तावडे की अध्यक्षतावाली समिति ने इस पुरस्कार के लिए राम लक्ष्मण के नाम की सिफारिश की थी। पुरस्कार समारोह की तारीख जल्द घोषित की जाएगी। इससे पहले इस पुरस्कार माणिक वर्मा, श्रीनिवास खले, गजानन वाटवे, दत्ता डावजेकर, पंडित जितेंद्र अभिषेकी, पंडित हृदयनाथ मंगेशकर, ज्योत्सना भोले, आशा भोसले, अनिल विश्वास, सुधीर फडके, प्यारेलाल शर्मा, रवींद्र जैन, स्नेहल भाटकर, मन्ना डे, जयमाला शिलेदार, खय्याम, महेंद्र कपूर, सुमन कल्याणपुर, सुलोचना चव्हाण, यशवंत देव, आनंदजी शहा, अशोक पत्की, कृष्णा कल्ले, प्रभाकर जोग, उत्तम ब्रिदपाल सिंह और पुष्पा पागधरे को प्रदान किया जा चुका है।
उपराजधानी नागपुर में 16 सितंबर 1942 को जन्में राम लक्ष्मण के प्राथमिक संगीत की शिक्षा बचपन से पिता काशीनाथ और चाचा प्रल्हाद से मिली। शेष शास्त्रीय संगीत की शिक्षा उन्होंने भातखंडे शिक्षा संस्था, नागपुर से पूरी की। अपने कैरियर के लिए मुंबई में आकर उन्होंने “अमर विजय” नाम से ऑर्केस्ट्रा की शुरुआत की। इसी एक ऑर्केस्ट्रा के समय दादा कोंडके की नजर राम लक्ष्मण के कार्यक्रम पर पड़ी और उन्होंने वर्ष 1947 में पांडू हवालदार मराठी फिल्म में बतौर संगीत निर्देशक पाटिल का चयन किया। यहीं से राम लक्ष्मण के आगे की यात्रा की शुरुआत हुई। दादा कोंडके की कई मराठी फिल्मों में उन्होंने संगीत दिया। इसीतरह एजेंट विनोद, तराना, हम से बढ़कर कौन, “मैने प्यार किया, हम आप के हैं कौन, हम साथ साथ हैं, 100 डेज, अनमोल, पुलिस पब्लिक, सातवां आसमान और पत्थर के फूल हिंदी फिल्मों में सदाबहार संगीत दिए।
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