नई दिल्ली। देश की मौजूदा शिक्षा व्यावस्था में सुधार की ओर कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने देश की नई शिक्षा नीति का जीरो ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और यह ड्राफ्ट अक्टूबर के अंत तक सरकार के पास पहुंच जाएगा। इसके बाद इस नई शिक्षा नीति को अंतिम रूप देकर पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा। इस बात की जानकारी केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक कार्यक्रम के दौरान दी।
जावड़ेकर ने अपने बयान में कहा है कि केन्द्र सरकार की नई शिक्षा नीति का फोकस देश के लिए देश के लिए अच्छा नागरिक और प्रत्येक नागरिक को एक अच्छा इंसान बनाने पर रहेगा। इस नीति का जोर लोगों को स्किल देने पर होगा. वहीं आर्टफिशल इंटेलिजेंस के साथ-साथ टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से शिक्षा को अधिक समग्र बनाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि सरकार जिस नई शिक्षा नीति को लागू करेगी वह साल 2020 से 2040 तक देश में शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर नतीजे लाएगी। उन्होंने कहा कि इस नई शिक्षा व्यवस्था से शहरों और गांव में क्वालिटी एजुकेशन पर जोर दिया जाएगा।
शिक्षा के बाद रोजगार को लेकर पूछे गए एक सवाल के जबाव में जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षा देने का मकसद सिर्फ रोजगार नहीं हो सकता। हालांकि इस बात को भी नकारा नहीं जा सकता की जीवन में रोजगार भी अहम है। लेकिन शिक्षा देने का मकसद देश को एक बेहतर नागरिक देना होना चाहिए। बच्चों को वैल्यू एजुकेशन और फिजिकल एजुकेशन देने की ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। वहीं उच्च शिक्षा का जिक्र करते हुए जावड़ेकर ने रोजगार को एक बड़ा मुद्दा बताया। जावड़ेकर ने बताया कि मोदी सरकार बीए, बीकॉम और बीएससी के सामान्य डिग्री के साथ-साथ अब बीए, बीकॉम और बीएससी की प्रोफेश्नल डिग्री लाने जा रही है।
जावड़ेकर ने बताया कि पुराने सामान्य डिग्रियों में सबसे ज्यादा लोग बेरोजगार रहे हैं, लिहाजा अब प्रोफेशनल कोर्स के जरिए छात्रों को रोजगार पाने के लिए ज्यादा सक्षम बनाने की तैयारी है। उन्होंने बताया कि पहले के जनरल ग्रेजुएशन की डिग्री को मौजूदा समय में रोजगार पाने लायक बनाने की कवायद की जा रही है। उन्होंने कहा कि देश में ज्यादातर विश्वविद्यालयों में बीते कई दशकों से कोई सुधार नहीं किया गया। बहरहाल केन्द्र सरकार के अधिकारी विश्वविद्यालयों के लिए नया कैरिकुलम तैयार करने में व्यस्त हैं। हालांकि युनिवर्सिटी खुद अपना नया कैरिकुलम तैयार करने के लिए भी पूरी तरह से स्वतंत्र होंगी।
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