Lal Bahadur Shastri (Second Prime Minister of India)
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय
Lal Bahadur Shastri Biography In Hindi – लाल बहादुर शास्त्री
लाल बहादुर शास्त्री संक्षिप्त जीवन परिचय | |
Lal Bahadur Shastri Brief Biography in Hindi, About Lal Bahadur Shastri | |
नाम | लाल बहादुर शास्त्री |
जन्म व स्थान | 2 अक्टूबर 1904,मुग़ल सराय ,वाराणसी उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 11 जनवरी 1966 |
पिता | मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव |
माता | राम दुलारी |
पत्नी | ललिता देवी |
संतान | 4 लड़के व 2 लड़की |
शिक्षा | काशी विश्वविद्यालय से ‘तत्वज्ञान’ विषय लेकर ‘शास्त्री’ की उपाधि |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
“कानून का सम्मान किया जाना चाहिये ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरक़रार रहे और मजबूत बने।”
लाल बहादुर शास्त्री का प्रारंभिक जीवन (Early life of Lal Bahadur Shastri)
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री और भारत को जय जवान और जय किसान का नारा देने वाले लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के एक छोटे से रेलवे टाउन, मुग़लसराय में हुआ था जो कि वाराणसी से सात मील दूर था, इनके पिता ‘मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव’ प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हुआ करते थे।
पिता जी के मुंशी होने के कारन ही इन्हे मुंशी जी के नाम से भी सम्बोधित किया जाता था| लाल बहादुर शास्त्री जी की माँ का नाम ‘रामदुलारी’ था| जब लाल बहादुर जी छोटे थे तब परिवार के सदस्य इन्हे ‘नन्हे’ कहकर पुकारा करते थे | लाल बहादुर शास्त्री लाल, बाल ,पाल, में से एक थे |
शास्त्री जी के पिता जी बचपन में ही गुजर गए थे | फिर माता जी ने शास्त्री जी को लेकर अपने पिता जी के घर मिर्जापुर आ गई थी|लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने ने आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाने के साथ २ अंग्रेजो को धुल भी चटाई |
शास्त्री जी का राजनीतिक जीवन (Shastri’s Political Career)
शास्त्री जी ने संस्कृत भाषा से स्नातक किया था और फिर अपनी शिक्षा पूरी करने के पश्चात ये स्वंय सेवक संघ से जुड़ गये थे और यही से देश की एक सच्ची सेवा करने का वचन ले लिया था| अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत में शास्त्री जी एक सच्चे गाँधीवादी थे जिन्होंने अपना सारा जीवन सरलता व सच्चाई के साथ बिताया था|शास्त्री जी समाज में रहने वाले लोगो और गरीबों की अक्सर सहायता किया करतें थे|
शास्त्री जी भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और आंदोलनों में भागीदार रहते थे| शास्त्री जी ने सन 1921 में गाँधी जी से मिलकर असहयोग आन्दोलन, 1930 में दांडी मार्च और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था| दूसरे विश्व युद्ध के समय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज को एक नारा दिया था ” दिल्ली चलों ” तब शास्त्री जी ने गाँधी जी के साथ 1942 की रात में ही मुंबई से ”अंग्रेजों भारत छोड़ो”और ”करो और मरो” का आदेश जारी किया था|
शास्त्री जी का प्रधानमंत्री बनने का सफर
शास्त्री जी एक साधारण व्यक्ति थे और उनकी छवि बिल्कुल साफ़ सुथरी थी इसी कारण उनको 1964 में नेहरू जी के निधन के बाद भारत का दूसरा प्रधानमंत्री बनाया गया| अगर देखा जाय तो उनका प्रधानमंत्री का कार्यकाल काफी मुश्किल भरा रहा उस समय पूंजीपति लोग देश में शासन करना चाहते थे और दुश्मन देश पर हमले की तैयारी में थे| सन 1965 के समय पाकिस्तान ने भारत पर शाम के समय हमला करना शुरु कर दिया था तब राष्ट्रपति ने तुरंत बैठक लगाईं थी इस बैठक में भारत के तीनो अंगो के अफसर मौजूद थे|
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नेहरू जी के अनुसार शास्त्री जी ने देश को एक अलग नई पहचान दिलाई थी परन्तु शास्त्री जी ने मात्र 18 महीनों का थोड़ा सा ही कार्यकाल किया था, जिसके बाद उनकी रहस्यमय तरीके से मौत हो गयी थी| शास्त्री जी ने एक नारा दिया था ”’ जय जवान – जय किसान ” इस नारे से देश की जनता का मनोबल बढ़ा और सभी एकजुट होकर देश की आजादी के लिए आगे बढ़ गए शास्त्री जी का आज भी पूरा देश उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये उन्हें हर साल जन्म दिवस पर याद करता हैं| शास्त्री जी को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित भी किया गया था उन्होंने देश की आजादी के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी थी और उन्होंने प्रधानमंत्री बनने का सफर आरम्भ से अंत तक सच्चाई व ईमानदारी से निभाया था |
“लोगो को सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसा से प्राप्त नहीं हो सकता।”
शास्त्री जी की रहस्यपूर्ण मृत्यु (Mysterious Death of Shastri Ji)
मुंबई में शास्त्रीजी की आदमकद प्रतिमा ताशकन्द समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद उसी रात उनकी मृत्यु हो गयी। मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताया गया था| शास्त्रीजी के अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ शान्तिवन (नेहरू जी की समाधि) के आगे यमुना किनारे बनाई गई थी उस स्थल को विजय घाट नाम दिया गया था जब तक कांग्रेस संसदीय दल ने इन्दिरा गान्धी को शास्त्री का विधिवत उत्तराधिकारी नहीं चुना तब तक गुलजारी लाल नन्दा ही कार्यवाहक प्रधानमन्त्री रहे|
शास्त्रीजी की मृत्यु को लेकर तरह-तरह के कयास लगाये जाते रहे थे बहुत से लोगों का, जिनमें उनके परिवार के लोग भी शामिल थे, मत है कि शास्त्रीजी की मृत्यु हार्ट अटैक से नहीं बल्कि जहर देने से की गई थी पहली इन्क्वायरी राज नारायण ने करवायी थी, जो बिना किसी नतीजे के समाप्त हुई थी यह भी आरोप लगाया गया कि शास्त्रीजी का पोस्ट मार्टम भी नहीं हुआ था |
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2009 में जब यह सवाल उठाया गया तो भारत सरकार की ओर से यह जबाव दिया गया कि शास्त्रीजी के प्राइवेट डॉक्टर आर०एन०चुघ और कुछ रूस के कुछ डॉक्टरों ने मिलकर उनकी मौत की जाँच तो की थी परन्तु सरकार के पास उसका कोई रिकॉर्ड नहीं है। बाद में प्रधानमन्त्री कार्यालय से जब इसकी जानकारी माँगी गयी तो उसने भी अपनी मजबूरी जतायी शास्त्रीजी की मौत में संभावित साजिश की पूरी पोल आउटलुक नाम की एक पत्रिका में खोली गई थी |
इसी तरह 2009 में, जब साउथ एशिया पर सीआईए की नज़र (CIA’s Eye on South Asia) नामक पुस्तक के लेखक अनुज धर ने सूचना के अधिकार के तहत माँगी गयी जानकारी पर प्रधानमन्त्री कार्यालय की ओर से यह कहना कि “शास्त्रीजी की मृत्यु के दस्तावेज़ सार्वजनिक करने से हमारे देश के अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्ध खराब हो सकते थे तथा इस रहस्य पर से पर्दा उठते ही देश में उथल-पुथल मचने के अलावा संसदीय विशेषधिकारों को ठेस भी पहुँच सकती थी ये तमाम कारण बताये गए थे जिससे इस सवाल का जबाव नहीं दिया गया था और इसी तरह से उनकी मृत्यु को रहसयमई मृत्यु बताया गया |
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