पटना। बिहार ने 15वें वित्त आयोग को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी बढ़ाने को लेकर नया फार्मूला दिया है। इसे लेकर बिहार सरकार ने बुधवार को वित्त आयोग को एक ज्ञापन सौंपा है। बिहार के पांच दिवसीय दौरे पर आए 15वें वित्त आयोग को राज्य सरकार की ओर से ज्ञापन सौंपे जाने के मौके पर अपने संबोधन में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने वर्ष 2011 की सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना, इनकम डिस्टेंस, आबादी घनत्व, हरित आवरण आदि मानकों के आधार पर केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के लिए नया फार्मूला तय करने तथा 11वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर बिहार की हिस्सेदारी के प्रतिशत को 15वें वित्त आयोग में बरकरार रखने व सेस, सरचार्ज और गैर कर राजस्व से केन्द्र को प्राप्त होने वाली राशि को भी राज्यों के बीच बांटने की मांग की।
मोदी ने कहा कि 11वें वित्त आयोग में बिहार की हिस्सेदारी 11़ 58 प्रतिशत थी, जो 14वें में घट कर 9़ 66 प्रतिशत रह गई। 13वें वित्त आयोग की तुलना में 14वें वित्त आयोग से प्राप्त होने वाली राशि में जहां बिहार की राशि में 136 प्रतिशत की वृद्घि हुई, वहीं केरल जैसे विकसित राज्य को प्राप्त होने वाली राशि में 191 प्रतिशत एवं राष्ट्रीय स्तर पर यह वृद्घि 173 प्रतिशत थी।
राज्य के वित्तमंत्री मोदी ने केन्द्र सरकार को गैर कर राजस्व, सेस व सरचार्ज से 2018-19 में प्राप्त तीन लाख 76 हजार करोड़ रुपये का बंटवारा भी राज्यों के बीच करने तथा डिविसिव पूल में राज्यों की हिस्सेदारी को 42 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की।
उन्होंने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने केवल ग्राम पंचायतों के लिए राशि उपलब्ध कराई थी। उन्होंने 15वें वित्त आयोग से त्रिस्तरीय पंचायती राज की अन्य दो इकाइयों -पंचायत समिति और जिला परिषदों- को भी राशि आवंटित करने की मांग की है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 14वें वित्त आयोग ने आपदा प्रबंधन के लिए वर्ष 2015 से वर्ष 2020 के पांच वर्षो के लिए महाराष्ट्र को 8,195 करोड़ रुपये, राजस्थान को 6,094 करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश को 4,848 करोड़ रुपये, वहीं बिहार को मात्र 2,591 करोड़ रुपये दिए, जबकि 2013-14 से 2017-18 के बीच बिहार को आपदा प्रबंधन पर अपने खजाने से 3,796 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े हैं।
उल्लेखनीय है कि वित्त आयोग की टीम ने बुधवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
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