लखनऊ। साहब सिंह सैनी विधान परिषद के सदस्य बने रहेंगे। भारत निर्वाचन आयोग ने पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों को उनकी सदस्यता खारिज करने योग्य नहीं पाया है। इस पर राज्यपाल राम नाईक ने विधान परिषद सदस्य साहब सिंह सैनी से संबंधित याचिका निस्तारित कर दी है।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने विधान परिषद सदस्य साहब सिंह सैनी से संबंधित याचिका को ‘भारत का संविधान’ के अनुच्छेद 192 के खण्ड (1) के अंतर्गत निस्तारित करते हुये कहा है कि साहब सिंह सैनी विधान परिषद, उत्तर प्रदेश के वैध सदस्य बने रहने योग्य हैं। बता दे कि श्री सैनी वर्ष 2015 में समाजवादी पार्टी से विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुये थे। वह पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2018 में उच्च न्यायालय इलाहाबाद में योजित याचिका में सुमित्रा सैनी ने साहब सिंह सैनी के विरूद्ध आरोप लगाये गये थे, कि वह श्री सैनी की एकमात्र विवाहिता पत्नी हैं लेकिन साहब सिंह सैनी ने वर्ष 2015 में विधान परिषद उत्तर प्रदेश की सदस्यता के लिए निर्वाचन प्रक्रिया में अपने नामांकन प्रपत्रों में प्रस्तुत शपथ पत्र में श्रीमती रीता वासुदेव का नाम पत्नी के रूप में अंकित कर मिथ्या कथन अंकित किया है।
इस पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने सुमित्रा सैनी की याचिका पर बीती 2 जुलाई, को आदेश पारित किया कि श्रीमती सैनी सक्षम प्राधिकारी के समक्ष लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 125-ए के अंतर्गत प्रत्यावेदन योजित करें। आदेश की एक-एक प्रति राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री को प्रेषित करते हुये प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही कर माननीय उच्च न्यायालय को भी सूचित करने को कहा गया था।
इस पर राज्यपाल नाईक ने बीती 23 जुलाई को ‘भारत का संविधान’ के अनुच्छेद 192 के खण्ड (2) के अंतर्गत साहब सिंह सैनी के प्रकरण को भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली को उनके अभिमत के लिए संदर्भित किया था। निर्वाचन आयोग ने बीती 14 सितम्बर को राज्यपाल को भेजे अपने अभिमत में कहा कि साहब सिंह सैनी इस प्रकरण में विधानतः विधान परिषद की सदस्यता से निरर्हित (अयोग्य) घोषित किए जाने योग्य नहीं हैं।
निर्वाचन आयोग से मिले अभिमत के आधार पर राज्यपाल ने ‘भारत का संविधान’ के अनुच्छेद 192 के खण्ड (1) के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुये निर्णय लिया कि श्री सैनी विधान परिषद के वैध सदस्य हैं तथा उस प्रकरण में विधानतः विधान परिषद की सदस्यता से निरर्हित (अयोग्य) किये जाने के योग्य नहीं हैं। राज्यपाल ने अपने आदेश की एक-एक प्रति उच्च न्यायालय इलाहाबाद तथा निर्वाचन आयोग को भी भेज दिया है।
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Thursday 4 October 2018
सैनी विधान परिषद की सदस्यता के लिए अयोग्य नहीं : राज्यपाल
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