नई दिल्ली: लखनऊ एनकाउंटर मामले में विवेक तिवारी की हत्या को लेकर कई सारे सवाल खड़े हो रहे हैं। पुलिस के मुताबिक उन्होंने अपनी आत्मरक्षा में गोली चलाई थी लेकिन इस घटना की इकलौती चश्मदीद सना खान जो विवेक तिवारी के साथ कार में मौजूद थी वह कुछ और ही कहानी बयान कर रही हैं. सना ख़ान ने बताया कि पुलिसकर्मी कार को रोकना चाहता था लेकिन जब एक कांस्टेबल ने जबरन कार के अंदर बेंत घुसाने की कोशिश की तो विवेक सर ने गाड़ी रोकना मुनासिब नहीं समझा।लखनऊ में किराये के मकान में रहने वाली सना ख़ान ने अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, ‘वह एग्रेसन के साथ आए थे, रोकने को बोल रहे थे, बाहर आने को बोल रहे थे। एक कांस्टेबल लाठी खिड़की के अंदर घुसाने लगा. जब यह सब चीज़ें होने लगी तो सर को रुकना ठीक नहीं लगा।उसने कहा, ‘चूंकि तिवारी सर गाड़ी आगे बढ़ाना चाह रहे थे इसलिए बाइक गिर गई। एक पुलिसवाला दूसरे साइड खड़ा हो गया लेकिन सर ने जैसे गाड़ी आगे बढ़ाना चाहा तो दूसरा पुलिसवाला जो गाड़ी चला रहा था उसने अपनी बाइक खड़ी कर विवेक सर पर गोली चला दी।
वो कुछ देर तक गाड़ी चलाते रहे लेकिन फिर गाड़ी सामने की दीवार से टकरा गई. उनके गले से ढेर सारा ख़ून निकल रहा था। यह कहते-कहते सना का गला रुंध गया।उसने आगे बताया कि उस दिन वह अपना सेल फोन लेकर नहीं आयी थी और विवेक तिवारी का फोन भी लॉक था। सना ने कहा, ‘मैं नीचे उतरी, मैं रो रही थी लोगों से मदद के लिए भी चिल्लायी। कुछ ट्रक रोड किनारे लगा हुआ था। मैं ट्रक ड्राइवर के पास गई और उनसे बात करने के लिए फोन मांगा लेकिन उनके पास मोबाइल फोन नहीं था। लगभग 15 मिनट बाद एक पुलिस वैन आई और उसके बाद एम्बुलेंस बुलाया गया। चूंकि एम्बुलेंस को आने में काफी समय लग रहा था इसलिए मैंने पुलिस से उन्हें अस्पताल पहुंचाने को कहा. उसके बाद उन्हें पुलिस वैन में बिठाकर लोहिया अस्पताल ले जाया गया।
अस्पताल से सना ख़ान को पुलिस थाना ले जाया गया जहां एक महिला कांस्टेबल ने उनका बयान लिया और साइन करवाया. सना ख़ान ने आगे कहा, ‘उसके बाद मैंने पुलिसवालों से अनुरोध किया कि वो मुझे घर ले चलें जिससे कि मैं अपना मोबाइल फोन ले कर अपने परिवार से बात करूं। इसके बाद वो मुझे अपने कमरे पर ले गए लेकिन सिर्फ मां से बात करने की इजाज़त दी गई. बात करने के बाद मुझे फिर से वापस पुलिस स्टेशन लाया गया।ख़ान की मां जो शनिवार को लखनऊ पहुंची उन्होंने कहा, ‘हमलोग इंसाफ़ के लिए लड़ेंगे लेकिन समझ नहीं आता कि मैं क्या करूं. मेरी बेटी ने एमबीए का कोर्स पूरा कर यहां काम करना शुरू किया था लेकिन इस घटना के बाद सब कुछ बदल गया है। मैं यह सब रोकना चाहती हूं. उस रात हत्या की गई थी लोग केवल उस पर फोकस करें। मैं अपना सामान्य जीवन वापस पाना चाहती हूं पता नहीं वह वापस मिल भी पाएगा कि नहीं?
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