Hindi Poem On Maa Durga | माँ दुर्गा पर हिंदी कविता | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Friday, 5 October 2018

Hindi Poem On Maa Durga | माँ दुर्गा पर हिंदी कविता

Hindi Poem On Maa Durga |  Maa Durga Par Kavita

Hindi Poem On Maa Durga

*****

सिंह की सवार बनकर
रंगों की फुहार बनकर
पुष्पों की बहार बनकर
सुहागन का श्रंगार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
खुशियाँ अपार बनकर
रिश्तों में प्यार बनकर
बच्चों का दुलार बनकर
समाज में संस्कार बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
रसोई में प्रसाद बनकर
व्यापार में लाभ बनकर
घर में आशीर्वाद बनकर
मुँह मांगी मुराद बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
संसार में उजाला बनकर
अमृत रस का प्याला बनकर
पारिजात की माला बनकर
भूखों का निवाला बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी बनकर
चंद्रघंटा, कूष्माण्डा बनकर
स्कंदमाता, कात्यायनी बनकर
कालरात्रि, महागौरी बनकर
माता सिद्धिदात्री बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ
तुम्हारे आने से नव-निधियां
स्वयं ही चली आएंगी
तुम्हारी दास बनकर
तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ

जानिए कैसे प्रकट हुईं महादुर्गा, किस देवता ने दिए उन्हें कौनसे अस्त्र-शस्त्र?

*****

अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां,
मन मेरे संताप भरा है, मैं कैसे मुस्काऊं मां।
कदम-कदम पर भरे हैं कांटे, ऊंची-नीची खाई है,
दुःखों की बेड़ी पड़ी पांव में, किस विधि चलकर आऊं मां।
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
सुख और दुःख के भंवरजाल में, फंसी हुई है मेरी नैया,
कभी डूबती, कभी उबरती, आज नहीं है कोई खिवैया।
छूट गई पतवार हाथ से, किस विधि पार लगाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
पाप-पुण्य के फेर में फंसा हूं, मैंने सुध-बुध खोई मां,
अंदर बैठी मेरी आत्मा, फूट-फूटकर रोई मां।
बोल भी अब तो फंसे गले में, आरती किस विधि गाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।
पाप-पुण्य में भेद बता दे, धर्म-कर्म का ज्ञान दे,
मेरे अंदर तू बैठी है, इतना मुझको भान दे।
फिर से मुझमें शक्ति भर दे, फिर से मुझमें जान दे,
नवजात शिशु-सा गोद में खेलूं, फिर बालक बन जाऊं मां।
तू ही बता दे, किन शब्दों में, तुझको आज मनाऊं मां,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं मां।

Hindi Poem On Maa Durga |  Maa Durga Par Kavita

*****

नवरात्री में नवदुर्गा नव नव रूप धरे
हर रूप की अपनी महिमा
कुछ शब्द न कह पाएं
शैलपुत्री तुम प्रथम कहलाती
हिमराज की सुता कहलाती
द्वित्य ब्रह्म चारिणी हो तुम
दुखियों की दुखहारिणी हो तुम
चंद्र घटना तृतीय रूप है तेरा
दुष्ट प्रकम्पित होते सारा
कुश्मांड़ा तेरा रूप चतुर्थकम
उल्लास का देती नया सोपनं
पंचम स्कन्द माता कहलाती
कार्तिकेय के संग पूजी जाती
षष्टम कात्यायनी हो तुम
कात्यान ऋषि की सुता हो तुम
कालरात्रि तेरा सप्तम रूप है
दुष्टो का बेडा गर्क है
अष्टम में तुम महा गौरी
कुंदन सुमन सी कोमल नारी
नवम सिद्धि दात्री हो तुम
सुख समृद्धि और मोक्ष की माता हो तुम

नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र- जानिए इस चक्र से अपने सवालों के जवाब

*****

सारे जग की माता हो तुम
सब की हो पालन हार
अतुलनीय रूप है तेरा
शक्ति तेरा है अपरम्पार
बसंत ऋतू का समागम हो गया है
चैत्र नवरात्री का आगमन हो गया है
शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है
आपके पदार्पण से कलियाँ खिल गयी है
चेहरे की उदासी को हसीं मिल गयी है
आश्रु से भरी आँखें सजल हो गयी है
दुखो के बेड़ियाँ जैसा सब नष्ट हो गयी है
शुभ आगमन है माँ शुभ आगमन है

Hindi Poem On Maa Durga |  Maa Durga Par Kavita

*****

loading...

The post Hindi Poem On Maa Durga | माँ दुर्गा पर हिंदी कविता appeared first on AjabGjab.

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad