नई दिल्ली। कांग्रेस ने मोदी सरकार पर एमएसएमई को 59 मिनट में एक करोड़ का लोन बांटने की योजना में बड़े घोटाले का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार इस योजना के जरिए अपने बिजनेसमैन दोस्तों का भला कर रही है। साथ ही, इस घोटाले में प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय का हाथ होने की आशंका जताते हुए न्यायिक जांच की मांग की है।
कांग्रेस ने रविवार को कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में नोटबंदी के बाद सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) 59 मिनट में लोन देने की योजना को आजाद का भारत का सबसे बड़ा घोटाला बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता प्रोफेसर गौरव वल्लभ शर्मा ने आरोप लगाते हुए कहा कि पहले तो सरकार कांग्रेस की योजनाओं को नाम बदल कर लांच कर रही थी। लेकिन अब अपनी ही योजनाओं को दोबारा रिलांच कर रही है। उन्होंने बताया कि इसी योजना को पहले 25 सितंबर को वित्त मंत्री लांच करते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री 2 नवंबर को इसका फिर से शुभारंभ करते हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता के मुताबिक https://ift.tt/2qDYwPI योजना में सिडबी समेत कई पीएसयू बैंक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना का कंट्रोल अहमदाबाद की कपंनी कैपिटा वर्ल्ड प्लेटफॉर्म्स प्राइवेट लिमिटेड के पास है। गौरव वल्लभ के मुताबिक इस कंपनी के एक निदेशक अखिल हांडा ने अपने लिंक्डिन प्रोफाइल पर खुलासा किया है कि उसने 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के कैंपेन को हैंडल किया है। वहीं यह खुद को बैंक ऑफ बड़ौदा का सलाहकार भी बताता है। गौरव ने बैंक ऑफ बड़ौदा में ऐसा कोई पद होने से इंकार किया है। वहीं दूसरे निदेशक चार्टर्ड अकाउंटेंट विनोद मोधा अनिल अंबानी ग्रुप की कंपनियों के सलाहकार भी हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया कि जब सिडबी और दूसरे पब्लिक सेक्टर बैंक खुद लोन देने में सक्षम हैं, तो किसी तीसरी कंपनी की जरूरत क्यों है, और इस कंपनी की यूएसपी क्या है? उनके मुताबिक कभी सिडबी ने किसी कंपनी में इनवेस्ट नहीं किया, लेकिन इस कंपनी में उसकी 8 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। उन्होंने बताया कि लोन आवेदनकर्ताओं से यह कंपनी रजिस्ट्रेशन के बदले एक हजार रुपए फीस लेती है, वहीं लोन अप्रूव होने पर बैंकों से .35 से .5 प्रतिशत की प्रोसेसिंग फीस भी लेती है। गौरव वल्लभ के मुताबिक प्रधानमंत्री ने इसके शुभारंभ के मौके पर कहा था कि अब तक 72,680 एमएसएमई को 33,582 करोड़ का लोन दिया जा चुका है।
उन्होंने कंपनी बनाने के समय पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सिडबी ने अपने रिक्वेस्ट ऑफ प्रपोजल में कहा था कि कंपनी का 5 साल पुरानी होना अनिवार्य है, लेकिन यह कंपनी 2015 में बनी और 2017 में इसका कुल रेवेन्यू 15 हजार रुपए था। साथ ही, कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी की जीएसटी पोर्टल पर सीधे पहुंच है, जबकि बड़े-बड़े से बैंक के साथ ऐसा नहीं है। वही यह कंपनी बैंकों से बैंक स्टेटमेंट तक निकलवा लेती है।
प्रोफेसर गौरव वल्लभ के मुताबिक सरकार ऐसा करके रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की स्वायत्ता पर भी चोट पहुंचा रही है। आरबीआई ने अपनी सालाना रिपोर्ट में बैड लोंस, साइबर सिक्योरिटी और बैंक फ्रॉड्स पर सवाल खड़े किए थे, लेकिन सरकार ने उन्हें दरकिनार कर दिया। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो बैंको का एनपीए बढ़ रहा है, वहीं सरकार बैंको के त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई यानी पीसीए फ्रैमवर्क को भी ताक पर रख रही है।
कांग्रेस ने मांग की है कि निजी कंपनी के हाथों 59 मिनट में लोन देने के नाम पर मची लूट को तत्काल बंद करे। साथ ही, घोटाले में शामिल प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के खिलाफ न्यायिक जांच बिठाए। इसके अलावा मोदी सरकार ऐसी स्कीमों के जरिए अपने बिजनेसमैन दोस्तों को फायदा पहुंचाना बंद करे और तत्काल प्रभाव से कंपनी कैपिटा वर्ल्ड का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करे।
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