पाली।हरदोई06नवम्बर।प्रकाश उत्सव दीपावली के पहले मिट्टी के बर्तन बनाने वाले गरीब तबके के कुशल गारीगरो के लिए रोजगार की एक सौगात लेकर आता था। उनके द्वारा बनाये गये सुंदर सुडौल छोटे बड़े दीयो की जमकर खरीददारी भी होती थी। कुम्हारी का काम करने वाले कारीगर पूरे वर्ष भर दीपावली का त्यौहार आने का बडी़ ही बेसब्री से इंतजार करते थे।महीनो पहले तालाब पोखरो से कच्ची मिट्टी के दीये चूकरिया बनाकर भारी भरकम स्टाक कर दीपावली की विक्रयी की तैयारी करते थे,जो इनकी रोजी रोटी का प्रमुख साधन हुआ करता था। इनके घरो मे भी दीवाली की खुशीओ की रौनक दिखाई पड़ती थी। लेकिन हाईटेक हो रहे जामने मे दीयो के स्थान पर बाजारो मे रंग बिरंगी इलैट्रनिक झालरों ने ले लिया, जिसने इन मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुशल कारीगरो के हाथो का रोजगार छीन गया, धीरे धीरे इनके सामने रोजी रोटी की समस्या खड़ी होने लगी, जिससे किसी ने अपना काम बदला तो किसी ने रोजी रोटी की तलाश मे परदेश का रुख किया। प्रकाश उत्सव दीपावली के त्यौहार मे पहले मिट्टी के दीये देशी घी या फिर कडूऐ तेल से जलाये जाते थे। जिससे हमारा प्रदूषित हो रहा वातावरण स्वच्छ होता था ।साथ ही बहुत सारे हानि कारक कीट पतंगे भी दीये की लौ मे जलकर मर जाते थे लेकिन हाईटेक हो रहे जमाने ने हमारे त्यौहारो की रौनक ही बदरंग कर दी है।
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Tuesday 6 November 2018
हाईटेक दिवाली ने मिटटी के दीपक बनाने वालों को किया बेरोजगार
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