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Wednesday 14 November 2018

Men’s Day Poem | पुरुष दिवस पर कविता

Men’s Day Poem | पुरुष दिवस पर कविता | International Men’s Day Poem | Hindi | Kavita

Men's Day Poem

*****

अक्सर सुना है, पुरुषों का समाज है।
तुम्हारे ही हिसाब से चलता है और,
तुम्हारी ही बात करता है।
पर सच शायद थोड़ा अलग है॥

देखा है मैंने कितनों को,
इस पुरुषत्व का बोझ ढोते।
मन मार कर जीते और,
चुपचाप आँसुओं का घूंट पीते॥

हकीक़त की चाबुक से,
रोज मार खाते सपने।
रोज़ी रोटी के जुगाड़ से,
जुड़े सारे अपने।
रुपयों में तौला जाता व्यक्तित्व,
व्यवहार से सिर्फ नहीं जुड़ा होता अपनत्व।
क्योंकि पुरुष हो तुम।

किसी भी अंजान स्त्री को अपलक कुछ पल निहार कर,
अगले ही पल हिकारत भरी नज़रों का बन जाते हो शिकार।
कोई सरोकार नहीं किसी को तुम्हारे नज़रिये से,
कोई नहीं पूछता तुमसे तुम्हारे मन के विचार।
क्योंकि पुरुष हो तुम।

प्रेम करते हो पर अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर पाए
तो कायर हो तुम।
क्योंकि पुरुष हो तुम।

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टूटकर रोना चाहते हो,
पर नहीं, तुम रो नहीं सकते,
रोते तो कमजोर हैं और तुम कमज़ोर नहीं हो सकते।
क्योंकि पुरुष हो तुम।

तुम्हे नहीं सिखाया जाता ज़िन्दगी को
सलीके से सहेजने का गुण,
क्योंकि पुरुष हो तुम।

स्त्री होना कठिन है तो
पुरुष होना भी कहाँ आसान है।
ज़िन्दगी भेदभाव नहीं करती,
बिना तकलीफों के किसी के संग नहीं चलती।

प्रतिस्पर्धी नहीं, पूरक हो तुम
क्योंकि पुरुष हो तुम।

*****

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Pita Shayari | पिता शायरी

*****

नहीं पुरुष होना आसान होता है!
तुम पुरुष हो,रो कैसे सकते हो
तुम पुरुष हो तुम सब झेल सकते हो!
बचपन से उसे ये सुनना पड़ता है
कोमल मन को भी
पाषाण बनाना पड़ता है
नहीं पुरुष होना आसान होता है!

यौवन की दहलीज पर आते ही उससे
उम्मीदों की झड़ी लग जाती है
सबकी उम्मीदों पर उसे
खड़ा उतरना पड़ता है,
अपने स्वप्नों को भूल
माँ बाप के देखे स्वप्नों को
पूरा करता रहता है
नहीं पुरुष होना आसान होता है!

सब बातों की जिम्मेवारी
कंधो पर आ जाती है
मुश्किल हालातों में भी
मुस्कुराता रहता है क्योंकि,
रोते नहीं पुरुष
वो खुद को ये समझाता है!
नहीं पुरुष होना आसान होता है!

माँ, बाप,घर,परिवार
सबके लिए जीता है
उनकी ख़्वाहिशों की खातिर
अपने को वो भूलता है
सबके नाज़ों नख़रे वो सहता है
नहीं पुरुष होना आसान होता है!

बच्चे उनके उनसे बेहतर जीए
पत्नी की मुस्कान न हो कम
माँ बाप की उम्मीदों पे हो खरा
न हों रिश्तेदार ख़फ़ा
सबका हिसाब उसे रखना पड़ता है
नहीं पुरुष होना आसान होता है!

स्त्री जीवन गर है मुश्किल
तो पुरुष का जीवन भी
आसान कहाँ होता है?
अपवादों की बातें छोड़ो
अपवाद कहाँ नहीं होता ?
नहीं, पुरुष होना भी
आसान होता है!!!!

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