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Tuesday 25 December 2018

सरकार ज़रा इधर भी देखें , पेट का सवाल हैं -सैकड़ों राशन कार्डधारी 15 दिनों से भूखें

 राशन का उठाव हुआ हैं लेकिन दुकान में लगे हैं ताले ,कागजी नाम पर खानापूर्ति

>> शिकायत करने पर साहब करते हैं ,अच्छा मामले को देखवाते है और कालाजारी के मंडी में बिक जाता हैं राशन

>> मामला पटना जिले के बिक्रम स्थित हैबसपुर-गोणा पंचायत का

पटना ( अ सं ) । राशन का उठाव 15 दिन पहले ही डीलर ने कर लिया और दुकान में ताला लगा दिया । अपने राशन के लिए कार्डधारी चक्कर काट रहे हैं लेकिन राशन मिलना तो दूर ,शिकायत सुनने वाला कोई नहीं हैं । इस तरह सैकड़ों परिवार अनाज के अभाव में एक प्रकार से भूखे हैं या फिर कहें तो कर्ज लेकर या घर का सामान गिरवी रखकर किसी तरह पेट पाल रहे हैं । सरकारी बाबू ,साहेब के मोबाइल पर पीड़ितों ने फोन किया लेकिन किसी ने फोन तक नहीं उठाया । यह मामला पटना जिले के बिक्रम प्रखंड अंतर्गत हैबसपुर-गोणा पंचायत का हैं । अब तो नये साल का लोग जश्न मनाने की तैयारियां कर रहे हैं और इधर गरीबों का चूल्हा बंद है, डीएम साहब जरा इधर भी देखें और कुछ करें पेट का सवाल हैं ।सिर्फ अमीरों के ही पेट नहीं होते गरीबों को भी भूख लगती हैं ।    बिक्रम प्रखंड के हैबसपुर -गोणा पंचायत के डीलर शंभू शर्मा  ने बीते नवंबर माह का राशन बीते 12 दिसंबर को ही उठाव कर लिया हैं । आज 26 दिसंबर तक किसी राशन कार्ड धारियों को अनाज का वितरण नहीं किया गया हैं । कार्डधारी गुड्डू साव कहते हैं की राशन के लिए प्रतिदिन डीलर के दुकानदार पर आते हैं लेकिन बैरंग वापस लौट जाते हैं ।गुड्डू साव का आरोप हैं की 15 दिनों से लगातार जन वितरण प्रणाली की दुकान बंद हैं ।डीलर कहते हैं की अभी राशन नहीं आया हैं कहां से दें । जबकि पीडि़त गुड्डू साव का कहना हैं की प्रखंड आपूर्ति कार्यालय ने बताया हैं की 15 दिन पहले ही राशन की आपूर्ति कर दी गयी हैं । इनके साथ ही कई कार्डधारी का आरोप हैं की सरकार ने राशन कार्ड तो दे दिया लेकिन डीलर किसी माह में समय पर राशन नहीं देते ।इसको लेकर कई बार प्रखंड आपूर्ति कार्यालय को सूचना दिया ,शिकायत किया ,फोन पर बताया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई ।सिर्फ यह कहां गया की ठीक हैं पता करते हैं । हमारे अनाज को कालाबाजारी के मंडी में बेच दिया जा रहा हैं और बता दिया जाता हैं की सरकार ने राशन नहीं दिया हैं हम कहां से दें। डीलर कोई रसीद  नहीं देते । जब ऐसी हालत राजधानी जिले पटना के सटे प्रखंड का हैं तो दूसरे जिले और दूर के सूदुर गांव -टोले की क्या स्थिति होगी अंदाजा लगाया जा सकता हैं ।

मालूम हो की गरीब परिवार को भूखे नहीं सोना पड़े, इसके लिए गरीबी रेखा से नीचे वाले व्यक्ति को राशन कार्ड दिया गया हैं । घर के एक सदस्य को गेहूं -चावल मिलाकर 5 किलो अनाज देना निर्धारित किया गया हैं ।यह राशन पंचायत के डीलर के माध्यम से दिया जाता हैं । सप्ताहिक छुट्टी छोड़कर प्रतिदिन दुकान खोलने है और राशन देने के बाद रसीद देने की व्यवस्था बनाई गयी हैं ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके । लेकिन शायद ही इसका अनुपालन होता हैं ।

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