मुंबई। आम आदमी पार्टी की पहल से करीब पांच वर्ष बाद नाविकों को न्याय मिल सका है। बांबे हाई कोर्ट के फैसले के बाद सभी नाविकों को वेतन और बकाया मिल गया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने निजी कंपनी के खिलाफ गरीब नाविकों को फंसाने और उनके जीवन को जोखिम में डालने के लिए शिपिंग अधिकारियों को परित्यक्त उत्तरदायी बनाया है, ताकि ऐसी घटना फिर न घट सके। दरअसल मामला वर्ष 2013 का है। जैसू शिपिंग के निजी जहाज कमल 33 को बेसहारा छोड़ दिया गया था। कंपनी ने पोत और चालक दल को उनके हाल पर छोड़ दिया था। यह जलपोत मुंबई हार्बर समुद्र में कई महीनों से फंसा हुआ था। जहाज के चालक दल ने आप पार्टी की नेता प्रीति शर्मा मेनन से मदद की गुहार लगाई थी। जैसू शिपिंग कंपनी ने बैंकों से भारी ऋण लिया था। कंपनी का दिवाला निकल गया। सभी बड़े व्यापारिक घरानों के घोटालों की सूची में से एक विशिष्ट एनपीए घोटाला यह भी था। कंपनी ने महीनों तक अपने चालक दल का भुगतान नहीं किया था। भोजन, पानी और यहां तक कि ईंधन के बिना जहाज को छोड़ दिया गया था। प्रीति मेनन चालक दल से मिलीं और यह सुनकर हैरान रह गईं कि जहाज पर एक उक्रेनियन नाविक की कुपोषण से मौत हो गई थी, क्योंकि मालिकों ने उन्हें बिना भोजन और पानी के छोड़ दिया था। भारत सरकार, जहाजरानी मंत्रालय और मुंबई पोर्ट ट्रस्ट ने मदद के लिए उनकी दलीलों को नजरअंदाज कर दिया था कि वे निजी जहाजों के साथ हस्तक्षेप नहीं कर सकते।
आप पार्टी ने मैरीटाइम वकील अभिषेक खरे से संपर्क किया और नौवाहन विभाग पर मुकदमा दायर किया। पहले दिन ही जस्टिस कथावला ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया। पहली बार उन्होंने डीजी शिपिंग और पोर्ट अथॉरिटीज को नाविकों के लिए नैतिक जिम्मेदारी दी। उस शाम भोजन और दवा के साथ पोत को भेजा गया। जल्द ही टिकट खरीदे गए और सभी चालक दल को घर भेजा गया। तब अधिकारियों को जहाजों को बेचने और पहले चालक दल का भुगतान करने और अन्य बकाया राशि का निपटान करने के लिए कहा गया था।
प्रीति के मुताबिक इस मामले की सुनवाई के बाद जैसू के 10 और शिपिंग कर्मचारियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में नौवाहन विभाग पर केस दायर किया। भारत के अन्य तीन जगहों पर भी केस दायर हुए।प्रीति ने बताया राहत की बात है आखिरकार 5 साल के बाद सभी दल के सदस्यों को अपना वेतन और बकाया मिल गया है।
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