लखनऊ। किंग जाॅर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के 114 वें स्थापना दिवस समारोह का भव्य आयोजन रविवार को अटलबिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेन्शन सेन्टर में किया गया।
एमएलबी भटृ कुलपति ने कहा में केन्द्र सरकार की महात्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत योजना को आमजन के लिए एक उपहार तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए वरदान बताया। उन्होंने कहा कि केजीएमसी की स्थापना हुए 100 वर्षो से अधिक समय हो गया है। इन सौ वर्षो में केजीएमयू ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय पहचान बना ली है। 20 हजार से अधिक स्नातक एवं परास्नातक चिकित्सक यहां से शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत विश्व के हर कोनेे में देश का नाम रोशन कर रहे है। यह देश का सबसे बड़ा चिकित्सा संस्थान है। इस संस्थान में 450 चिकित्सा शिक्षक, 5500 चिकित्सा छात्र-छात्राएं, 5500 कर्मचारी एवं 4000 बेड का अस्पताल, 200 वेंटिलेटर से सुसज्जित होने के साथ ही यह देश का ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा चिकित्सालय होने का गौरव प्राप्त करता है।
केजीएमयू को 2018 का पांचवा सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा संस्थान का दिया दर्जा
इस चिकित्सा संस्थान में प्रतिदिन 8 से 10 हजार मरीज प्रदेश भर से उपचार के लिए आते हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिवर्ष 15 से 16 लाख नए मरीज इस चिकित्सा संस्थान में उपचार के लिए आते है, जिसमें से लगभग एक लाख मरीज भर्ती किए जाते हैं और 60 से 70 हजार मरीजों की प्रतिवर्ष सर्जरी होती है। यह देश का सबसे बड़ा ट्राॅमा एवं इमरजेंसी सेवाओं का अस्पताल इस संस्थान के पास उपलब्ध है। यह संस्थान विश्वभर में चिकित्सा शिक्षा के लिए खास है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केजीएमयू को 2018 का पांचवा सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा संस्थान का दर्जा दिया है।
केजीएमयू को आॅल इंडिया इंस्टीट्यूट आॅफ मेेडिकल साइंसेस का दर्जा दिए जाने केलिए एक किया अनुरोध
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने बताया केजीएमयू के उत्कृष्ट चिकित्सीय सेवा के लिए देश-विदेश में मिली पहचान और ख्याति की प्रशंसा करते हुए कहा कि विदेशों मे एम्स के साथ अगर किसी चिकित्सा संस्थान का नाम लिया जाता है तो वह केजीएमयू का नाम है। ऐसी ख्याति प्राप्त करने से बड़ी उपलिब्ध और कोई दूसरी हो ही नहीं सकती। उन्होंने चिकित्सकों को धरती का भगवान बताते हुए कहा कि जब ईश्वर को किसी व्यक्ति को चिकित्सक बनाना होता है तो वह उस मनुष्य को बड़े मन के साथ जन्म देता है क्योंकि बिना बड़े मन के किसी की सेवा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि चिकित्सक के प्रति उनके मन में जो सम्मान का भाव आता है वह किसी दूसरे को देखकर नहीं आ पाता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि चिकित्सा सेवा एक साधना है। जितने शांत स्वभाव से मरीजों का इलाज करना एक साधना ही है और ऐसा व्यक्ति ही सच्चे अर्थ में अध्यात्मिक है। उन्होंने कहा कि मंदिर-मस्जिद में पूजा या इबादत करने वाले ही अध्यात्मिक तथा बड़े मन के नहीं होते बल्कि बड़े मन का व्यक्ति ही सही अर्थ में अध्यात्मिक होता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गृहमंत्री भारत सरकार, राजनाथ सिंह , विशिष्ट अतिथि डाॅ महेन्द्र पाण्डेय एवं विशिष्ट अतिथि भारतीय आर्युविज्ञान परिषद, नई दिल्ली की पूर्व अध्यक्ष डाॅ जयश्री बेन मेहता, अमेरिका के डा सुरेन्द्र वर्मा, डाॅ कमलेश वर्मा, विधायक सुरेश श्रीवास्तव, पैरामेडिकल साइंसेस के विभागाध्यक्ष डाॅ विनोद जैन, रिह्मेटोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ सिद्धार्थ दास, चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मदनलाल ब्रह्म भट्ट उपस्थित रहे।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह द्वारा प्रो दीवाकर दलेला, प्रो सूर्यकांत, प्रो अजय सिंह, प्रो बानी गुप्ता एवं प्रो सिद्धार्थ अग्रवाल द्वारा अलग-अलग लिखित किताबों का विमोचन किया गया। इसके साथ ही समारोह के दौरान मेडिकल, डेंटल, नर्सिंग, पैरामेडिकल स्टूडेंट्स को मेडल से सम्मानित किया गया।
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