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Thursday, 3 January 2019

देश के अपराधियों के हाथों में अब नहीं होगा – मेड इन मुंगेर ,क्योंकि जलवा दिखाने पहुंच रहें हैं मनु महाराज

 आतंकवादियों एवं उग्रवादियों तक को पसंद हैं मेड इन मुंगेर निर्मित हथियार ,सस्ती और सुलभता से मिल जाता हैं मौत का हथियार

>> कट्टा, पिस्टल, रिवाल्वर से लेकर एके47 व एके 56 तक बनते है, काम किसी ओरिजिनल से कम नहीं

>> बारह वर्ष के बच्चे से लेकर 72 वर्ष के बुढ़े तक बनाते हैं मौत का सामान ,बहती गंगा में नाव पर होता हैं इनका कारखाना

>> उग्रवादियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए चलाया जाएगा बड़े तौर पर अभियान -मनु महाराज

रवीश कुमार मणि
पटना ( अ सं ) ।देश के आतंकवादियों, उग्रवादियों और अपराधियों के पाठ्यक्रम में सबसे पहले हथियार मेड इन मुंगेर के बारे में बताया जाता हैं और हाथों में यहीं मेड इन मुंगेर दिया जाता हैं । इसमें कट्टा ,पिस्टल से लेकर एके 47 व एके 56 तक होता हैं ।मुंगेर के हथियार तस्करों का नेटवर्क पुरे देशभर में फैला हुआ हैं ,यह हाल के दिनों में मुंगेर  में बड़ी मात्रा में बरामद किये गये एके 47 से साबित हो चुका हैं ।इसको लेकर बिहार राज्य की बदनामी देश-दुनिया में हुई । सरकार ने मेड इन मुंगेर के कारखाना को बंद करने के लिए तेज तर्रार आईपीएस मनु महाराज को डीआईजी में प्रमोशन देने के बाद मुंगेर ट्रांसफर किया हैं । राजधानी में बतौर एसएसपी के रूप में मनु महाराज की कर्मठता को लोग देख चुके हैं ।इससे यह सम्भावना जताया जा सकता हैं की देश के अपराधियों के हाथों में अब मेड इन मुंगेर नहीं होगा बल्कि मुंगेर में डीआईजी मनु महाराज का जलवा चलेगा । आईपीएस मनु महाराज आज यानी शुक्रवार को मुंगेर डीआईजी के रूप में पद ग्रहण करेंगे ।मनु महाराज सबसे बड़ी खासियत यह हैं की जिसके पीछे लगे उसको देश के किसी कोने से भी गिरफ्तार कर लेते हैं ।इसमें इनकी तकनीकी दक्षता काम आती हैं ,चुकी आईपीएस मनु महाराज आईआईटीएन हैं । इनके साथ काम करने से पुलिस को नई उर्जा मिलती हैं ,इसका लाभ मुंगेर उप प्रक्षेत्र के अधीन आने वाले पुलिस अधिकारी ,पदाधिकारी और पुलिसकर्मियों को भी मिलेगा  ।मुंगेर प्रक्षेत्र में नवादा और लखिसराय उग्रवाद प्रभावित जिले हैं । मनु महाराज इससे पहले उग्रवादियों के गढ़ गया में काम कर चुके हैं ,इसका बड़ा अनुभव हैं । इसका असर भी देखने को मिल सकता हैं । मनु महाराज कहते रहें हैं उग्रवादी मुख्यधारा से जुड़ते हैं तो उन्हें बड़ी खुशी होती हैं । मुंगेर उप प्रक्षेत्र में उग्रवादियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए बड़े तौर पर अभियान चलाया जाएगा । गया जिले में एसएसपी रहते मनु महाराज ने सैकड़ों उग्रवादियों को मुख्यधारा से जोड़ा था।

सस्ती और सुलभता से मिल जाती हैं मेड इन मुंगेर और किसी ओरिजिनल से कम नहीं

आतंकवादी ,उग्रवादी और अपराधी को अब किसी दूसरे जगहों पर घटना को अंजाम देने के लिए हथियार लेकर नहीं जाना पड़ता हैं । शूटर बड़े शहरों एवं ठिकानों पर ठहरते हैं और योजना के अनुसार उनके हाथों में मेड इन मुंगेर निर्मित हथियार दे दिया जाता हैं । घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी हथियार को फेंक देते हैं और सुरक्षित फरार हो जाते हैं । पुलिस हथियार बरामद कर लेती हैं ,खुलासा भी यहीं होता हैं की घटना में मेड इन मुंगेर हथियार का इस्तेमाल हुआ हैं ,अधिकांश अपराधी पुलिस के पकड़ से दूर ।
सस्ती और सुलभता से मिलने के कारण मेड इन मुंगेर निर्मित हथियार अपराधियों में लोकप्रिय हैं । सबसे बड़ी जो बात होती है इसकी विश्वसनीयता की वह किसी ओरिजिनल हथियारों से कम नहीं होती । सुत्रों की मानें तो मेड इन मुंगेर निर्मित कट्टा का रेट  1500 -3000 रूपये ,पिस्टल- 12000 – 30000 ,रिवाल्वर- 8000 -20000 ,रेगुलर रायफल- 20000-40000, एके 47 और एके 56  – 1,50,000 से लेकर 2, 50 ,000 रूपये तक मिलता हैं । मेड इन मुंगेर निर्मित पिस्टल देश के बड़े -छोटे अपराधियों के पास जरूर देखने को मिलेगा । बिहार पुलिस द्वारा बरामद हथियारों का आकंडा देखें तो पाएंगे की मेड इन मुंगेर निर्मित हथियारों में पिस्टल बड़ी मात्रा में बरामद हुई हैं ।

गंगा के लहरों के बीच बनते हैं मेड इन मुंगेर,  बारह वर्ष से लेकर 72 वर्ष के बुढ़े तक हैं कुशल कारीगर

हथियारों से मुंगेर का रिश्ता कोई आज नया नहीं हैं । मुगल शासन काल, अंग्रेजी हुकूमत से लेकर आजाद भारत तक में मुंगेर में बंदूक बनाने का कारखाना रहा हैं ।फिलहाल मुंगेर में सभी बंदूक के कारखानें बंद पड़े हैं । जब से मुंगेर में बंदूक बनाने का कारखाना बंद हुआ वहां के नौजवानों ने गलत रास्ता चुन लिया । बंदूक फैक्ट्री बंद होने पर जो कारीगर सड़क पर आ गये और हथियार बनाने का काम शुरू कर दिया ।मुंगेर में गलत हथियार बनाने का काम घरेलू उद्योग के रूप में विकसित हो गया ।अच्छे मुनाफा होता हैं इसको लेकर यहाँ के 12 वर्ष के बच्चे से लेकर 72 वर्ष के बुढ़े तक मेड इन मुंगेर, हथियार बनाने में जुटे हैं । पुलिस की जब सख्ती बढ़ती हैं तो हथियार बनाने का काम गंगा नदी के बीच नाव पर होता हैं ,जैसे ही पुलिस की भनक लगती हैं गंगा के गोद में सबकुछ छिपा दिया जाता हैं और पुलिस खाली हाथ लौट आती हैं । दो-चार बार पुलिस के काभी प्रयास के बाद गंगा नदी के बीच से अर्धनिर्मित मेड इन मुंगेर हथियार बरामद हुये हैं ।

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